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वाणी व व्यवहार से मानव की प्रवृत्ति ज्ञात होती है

locationरतलामPublished: Oct 21, 2019 05:51:24 pm

Submitted by:

Akram Khan

वाणी व व्यवहार से मानव की प्रवृत्ति ज्ञात होती है

वाणी व व्यवहार से मानव की प्रवृत्ति ज्ञात होती है

वाणी व व्यवहार से मानव की प्रवृत्ति ज्ञात होती है

रतलाम। गच्छाधिपति नित्यसेन सूरीश्वर की निश्रा में श्रीशंखेश्वर पाश्र्वनाथ धाम पर चल रहे पावनीय चातुर्मास महोत्सव में उपधान तप आराधक नित्य धार्मिक क्रियाएं कर कठोर तपस्या में लीन हैं। पंचाह्निका महोत्सव में प्रतिदिन धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हंै। प्रतिदिन दूरदराज क्षेत्र से ग्रामीणजन व श्रीसंघ पहुंचकर प्रवचन का श्रवण कर दर्शन लाभ ले रहे हैं।
प्रवचन के दौरान मुनिराज डॉ सिद्धरत्नविजय ने कहा कि संसार में तिरने हेतु सुकृत कर्मो के अनेक प्रकल्प आराधना, साधना, तप, त्याग की विधियां ज्ञानियों द्वारा बताई गई है। तारकरत्नविजय द्वारा करवाई जा रही आत्म भावना प्रार्थना में जनसमुदाय में बढ़चढ़ कर सहभागिता की। सर्वप्रथम भरतपुर श्री संघ द्वारा दादा गुरुदेव व पुण्य सम्राट की आरती उतारी गई । बाबूलाल समेरमल वोरा रतनपुरा द्वारा प्रभावना वितरित की गई। रविवार को भरतपुर,नागदा, जावरा,रतलाम,धार आदि स्थानों से श्री संघ के प्रतिनिधि पहुंचे जिन्होंने दर्शन वंदन कर गच्छाधिपति व साधु साध्वी भगवंत का आशीर्वाद लिया। सभी लाभार्थियों व अतिथियों का श्री संघ अध्यक्ष बाबूलाल धींग व पारसमल धींग परिवार राकोदा ने बहुमान किया। संचालन चातुर्मास प्रभारी राकेश जैन व तरुण अध्यक्ष हर्ष कटारिया ने किया।

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