नगरीय निकायों की हालत खराब
नगरीय निकायों में कम प्रवेश को लेकर हालत चिंताजनक है। इनमें संचालित स्कूलों में जितनी सीटें आरक्षित की गई थी उनमें बड़ी संख्या में खाली रह गई है। खासकर नगर निगम रतलाम, नगर परिषद नामली, आलोट और ताल जैसे नगरीय निकायों में यह स्थिति देखी जा सकती है। इन निकायों में संचालित स्कूलों की प्रवेशित कक्षा में जिनती सीटें आरक्षित थी उसके मुकाबले पहले तो आवेदन कम आए और फिर जब इनके सत्यापन के बाद पात्र आवेदकों के प्रवेश की बारी आई तो पात्र और प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियो की संख्या आधी भी नहीं रह गई।
जनपदों के स्कूलों में ठीक स्थिति
नगरीय निकायों से हटकर हम जनपद पंचायतों या फिर ग्रामीण क्षेत्र के निजी स्कूलों में प्रवेश को लेकर स्थिति संतोषजनक कही जा सकती है। इन जनपदों के अंतर्गत आने वाले स्कूलों में आरक्षित सीटों पर शहरी निकायों के मुकाबले काफी अच्छा प्रवेश प्रतिशत सामने आया है। जिला शिक्षा केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक दूसरी जनपद पंचायतों में तो काफी अच्छी स्थिति है किंतु रतलाम जनपद के स्कूलों में भी नगरीय निकायों की तरह ही प्रवेश की स्थिति बेहद कमजोर सामने आई है। यही हाल आदिवासी अंचल की बाजना जनपद में भी है।
फैक्ट फाइल
जिले में निजी स्कूलों की संख्या — ६०० (लगभग)
जिले में आरक्षित सीटें — ४५५६
जिले में अलाटेट सीटें — ३७९६
पात्र आवेदन — २७०६
अपात्र आवेदन — २५३
स्कूलों में प्रवेश दिया — २६३१
आयु से अपात्र — २१९
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२६३१ विद्यार्थियों का हुआ प्रवेश
जिले में निजी स्कूलों में ४५५६ सीटें आरटीई के तहत आरक्षित की गई थी। प्रदेश स्तर पर निकाली गई लॉटरी में करीब ३८०० सीटों का अलाटमेंट हुआ था। इसके बाद कोई अलाटमेंट नहीं किया गया। इन सीटों के लिए आए आवेदनों में से परीक्षण किया गया तो ३७०६ पात्र पाए गए जबकि २६३१ ने ही स्कूलों में प्रवेश लिया है।
रमेश गोदार, एपीसी जिला शिक्षा केंद्र, रतलाम