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हमारा मेडिकल कॊलेज तैयार, बस स्टूडेंट का है इंतजार

locationरतलामPublished: Jul 22, 2018 11:45:18 am

Submitted by:

harinath dwivedi

हमारा मेडिकल कॊलेज तैयार, बस स्टूडेंट का है इंतजार

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हमारा मेडिकल कॊलेज तैयार, बस स्टूडेंट का है इंतजार

रतलाम। मेडिकल कॉलेज परिसर में प्रवेश करने के लिए जैसे ही रतलाम-सैलाना टूलेन से थोड़ा नीचे उतरते हैं तो बेरिकेड्स लगा मिलता है। यह खुलता है और हमारी बाइक अंदर जाती है। थोड़ा आगे चलकर मेडिकल कॉलेज के उस हिस्से की तरफ जाते हैं जहां मेडिकल के विद्यार्थियों के लिए पहले सत्र की कक्षाएं शुरू होना है। यहां सीढिय़ां चढ़कर अंदर प्रवेश करने पर कुछ कर्मचारी इंटरनेट कनेक्टीविटी के लिए कार्य करते दिखे। थोड़ा आगे जाने पर हॉल के दूसरे छोर पर कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित का बड़ा सा चैंबर दिखाई देता है। यहां ताला लगा मिला किंतु कांच का दरवाजा होने से अंदर का नजारा पूरी तरह साफ दिखता है। अंदर बड़ी सी टेबल और उसके सामने कई सारी कुर्सियां लगी है। टेबल के पास दोनों तरफ सोफे लगे हैं। चैंबर के पास के बड़े हाल में प्रोफेसर कुछ कार्य कर रहे हैं। कुछ और प्रोफेसर, असोसिएट प्रोफेसर और असिसटेंट प्रोफेसर भी दूसरे हॉल में बैठकर काम निपटा रहे हैं। जी हां यह नजारा शहर को अब तक मिली सबसे बड़ी सौगातों में से एक मेडिकल कॉलेज के अंदर का है।
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तीनों डिपार्टमेट के चैंबर तैयार

पहले बैच के पहले सत्र के लिए तीन डिपार्टमेंट एनॉटामी, फिजियोलॉजी और बायोकैमेस्ट्री पूरी तरह से तैयार है। डीन के चैंबर के बायीं तरफ के रास्ते से होकर आगे निकलते हैं तो यहां भूतल पर ही एनॉटामी डिपार्टमेट का बोर्ड लगा मिलता है। डिपार्टमेंट के हेड डॉ. जितेंद्र गुप्ता के साथ ही उनके असोसिएट और असिसटेंट प्रोफेरसरों के नाम भी बोर्ड पर लगे हैं। कुछ आगे जाने पर डिपार्टमेट हेड का चैंबर और इससे लगे तमाम प्रोफेसरों के चैंबर बने हैं। सभी में टेबल-कुर्सियां जमी हुई है। दूसरी मंजिल पर फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट है जबकि चौथी मंंजिल पर बायोकेमेस्ट्री का डिपार्टमेंट लगेगा। यहां भी डिपार्टमेंट हेड सहित सारे असोसिएट और असिसटेंट प्रोफेसरों के चैंबर बने हैं।
अभी कुछ वर्क नहीं होने से सभी एक जगह

मेडिकल कॉलेज में अभी किसी भी डिपार्टमेंट में या किसी अन्य जगह कोई ज्यादा काम नहीं है। थोड़ा बहुत वर्क है तो वह है कागजी कार्रवाई या जानकारियों का। इसलिए दोपहर लंच तक सारे लोग यहां रुकते हैं किंतु दोपहर बाद कोई काम नहीं होने से ज्यादातर प्रोफेसर लंच से लौटे नहीं है। आमतौर पर शाम पांच बजे तक सभी लोग रुकते हैं। सुबह पहुंचने के बाद ज्यादातर समय सभी एक या दो हाल में ही समय पास करते रहते हैं। डीन डॉ. दीक्षित के इंदौर में होनेे के कारण वर्तमान में यहां का पूरा दारोमदार मेडिकल कॉलेज अधीक्षक डॉ. जितेंद्र गुप्ता पर है। किसी भी कार्य के लिए सीधे उनसे ही संपर्क करना पड़ता है। इसके साथ ही डॉ. स्वर्ण कांता लिखार भी है जो मैनेजमेंट देख रही है।
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निजी कंपनी से कुछ कर्मचारी भी मौजूद

निजी कंपनी से आउटसोर्सिंग करके कुछ कर्मचारियों को यहां रखा गया है। ये कर्मचारी एक हॉल में रिकार्ड को तैयार कर रहे हैं। जो भी दस्तावेज या जानकारी प्रोफेरस, असोसिएट प्रोफेसर और असिसटेंट प्रोफेसर से मिलती है उसे ठीक तरीके से करने में लगे हैं। सीएमएचओ कार्यालय से भी कुछ कर्मचारियों को फिलहाल मेडिकल कॉलेज में रखा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि काउंसलिंग शुरू होने से पहले यहां पूरे कॉलेज परिसर यानि तीनों ही डिपार्टमेंट और कार्यालय में इंटरनेट कनेक्टीविटी की व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जाना है। इसलिए कुछ कर्मचारी दिनरात टेलीफोन लाइनों और इंटरनेट को जोडने में लगे हुए हैं।
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