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ये क्या मेडिकल कॊलेज खुल गया और सेवाएं नहीं मिल रही है एसएनसीयू को

locationरतलामPublished: Sep 15, 2018 10:52:04 am

Submitted by:

harinath dwivedi

ये क्या मेडिकल कॊलेज खुल गया और सेवाएं नहीं मिल रही है एसएनसीयू को

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ये क्या मेडिकल कॊलेज खुल गया और सेवाएं नहीं मिल रही है एसएनसीयू को

रतलाम। शहर को मेडिकल कॉलेज की सौगात मिल चुकी है किंतु इसका लाभ जिला अस्पताल को अब तक नहीं मिल पा रहा है। हालत यह है कि एसएनसीयू जैैसी इकाइ में भी मेडिकल कॉलेज के किसी डॉक्टर की अब तक सेवाएं शुरू नहीं हुई है। यह बात नहीं है कि मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिशन नहीं है। यहां करीब आधा दर्जन पीडियाट्रिशन टीचर हैं फिर भी यह हालात है।
पिछले दिनों ही मुख्यमंतर्ी शिवराजसिंह चौहान ने संभाग के पहले मेडिकल कॉलेज का विधिवत लोकार्पण कर दिया किंतु जिला अस्पताल की नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) को मेडिकल कॉलेज का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मेडिकल कॉलेज में बच्चों के प्रोफेसर सहित एसोसिएसट प्रोफेसर और एसआर, जेआर डॉक्टरों के होने के बावजूद एसएनसीयू इनकी सेवाओं से वंचित है। हालत यह है कि मेडिकल कॉलेज खुल चुका है फिर भी एसएनसीयू में गंभीर बच्चों के लिए उपयोग आने वाली मशीनों का अभाव बना हुआ है।
डॉक्टरों को पढ़ाने वाले प्राध्यापक

मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिक विभाग के प्राध्यापक, असोसिएट प्राध्यापक और जेआर, एसआर नियुक्त हो चुके है। मेडिकल कॉलेज में पहले वर्ष की कक्षाएं होने से इन डॉक्टरों की सेवाएं जिला अस्पताल के एसएनसीयू में लगाने से गंभीर नवजात शिशुओं को लाभ मिलना चाहिए जो इस समय नहीं हो पा रहा है। एसएनसीयू में जो चार डाक्टर हैं उनमें से दो नियमित हैं और दो संविदा पर कार्यरत हैं। ऐसे में जो नियमित हैं या प्रभारी हैं उन पर ही पूरे एसएनसीयू का लोड आने से कार्य की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
नई नर्सों को रखने का आदेश

एसएनसीयू में नई समस्या आने वाली है। अस्पताल से जुड़े सूत्र बताते हैं कि एसएनसीयू में वर्तमान में पदस्थ और ट्रेंड नर्सों को हटाकर वार्डों में भेजा जा रहा है और वार्डों में पदस्थ नई नर्सों को एसएनसीयू में लाया जा रहा है। यह आदेश हुए कुछ समय हो चुका है किंतु आदेश को लेकर असमंजस बना होने से इस पर अमल नहीं हो रहा है। यदि ऐसा होता है तो यहां गंभीर रोग से भर्ती नवजात शिशुओं के इलाज का भी संकट खड़ा हो सकता है।
कर्मचारी को हटाया

एसएनसीयू को सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं में प्राथमिकता में शामिल किया जाता है और हर दिन इसकी ऑनलाइन रिपोर्टिंग करना भी अनिवार्य है। जिला अस्पताल में संचालित एसएनसीयू में पिछले १५ दिन से ऑनलाइन रिपोर्टिंग का काम ठप पड़ा हुआ है। इसकी बड़ी वजह यह है कि यहां पदस्थ एकमात्र डाटा इंट्री ऑपरेटर को पिछले चार माह से वेतन नहीं मिलना है। अब कर्मचारी को बंद कर दिया गया है। इससे यहां का काम बंद हो गया है कि हर दिन कितने बच्चे भर्ती हो रहे हैं कितने को छोड़ा जा रहा है।
आउट और इन बोर्न की हर दिन की रिपोॢटंग

जिला अस्पताल में संचालित २० बिस्तरों के एसएनसीयू में इस समय करीब ३० बच्चे भर्ती हैं। इनमें इन बोर्न और आउट बोर्न दोनों तरर के बच्चंो की संख्या है। हर दिन की ऑनलाइन रिपोर्टिंग में बच्चों की संख्या, भर्ती होने वाले, डिस्चार्ज होने वाले, भर्ती बच्चों की बीमारी, मरने वालों की जानकारी, मरने का कारण, बीमार का कारण सहित सारी जानकारियां हर दिन अपडेट करना होगी है। इन बोर्न में जिला अस्पताल में जन्मे बच्चे होते हैं जबकि आउट बोर्न में जिला अस्पताल से इतर दूसरे सरकारी या निजी अस्पतालों में भर्ती बच्चों को माना जाता है।
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कर्मचारी को बंद कर दिया गया

एसएनसीयू में कार्यरत डाटा इंट्री ऑपरेटर का पद स्वास्थ्य विभाग ने खत्म कर दिया है। इसलिए संबंधित कर्मचारी को वहां से हटा दिया गया है। यह काम अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ( एनएचएम) से रखे गए डाटा इंट्री ऑपरेटरों के माध्यम से कराया जाना है। एसएनसीयू का संचालन सिविल सर्जन को करना होता है। हमने उन्हें इस बारे में निर्देश जारी कर दिए हैं। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से इस बारे में चर्चा की जाएगी।
डॉ. प्रभाकर ननावरे, सीएमएचओ, रतलाम

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नहीं हो रही है डाटा इंट्री

एसएनसीयू में इस माह की पहली तारीख से डाटा इंट्री की कोई रिपोॢटंग नहीं हो रही है। जिस कर्मचारी को यह काम करना था उसने वेतन नहीं मिलने से काम बंद कर दिया है। वरिष्ठ कार्यालय को हमने स्थिति से अवगत करवा दिया है। मेडिकल कॉलेज में छह से ज्यादा प्राध्यापक, एसोसिएट प्राध्यापक व जेआर, एसआर नियुक्त हैं। इनका लाभ एसएनसीयू को मिलना चाहिए। जहां तक मशीनों की बात है तो ये बंद चालू होती रही है जिन्हें समय-समय पर सुधारवाया जाता है।
डॉ. एपी सिंह, प्रभारी एसएनसीयू

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