स्टेशन रोड थाना पुलिस ने सज्जनसिंह को मंगलवार को भी पूछताछ के लिए बुलाया था। इस दौरान उससे पूछा गया था कि वह कब से यहां पर पदस्थ है और पूर्व में जब प्रशासन ने यातायात एजेंसी पर कार्रवाई की थी, उस समय उसकी क्या जिम्मेदारी थी, जिस पर उसने बताया कि वह उस समय भी कार्यालय अधीक्षक के पद पर था। दफ्तर की सभी फाइल व सील की जिम्मेदारी उसकी थी। पुलिस ने जब उससे पूछा कि दफ्तर की फाइलें एजेंसी पर कैसे पहुंची थी, तो उसका कहना था कि आवेदक ही अपनी उनके आवेदन की कमियों को पूरा कराने के लिए कार्यालय से फाइल ले जाते थे। पुलिस के इस सवाल के जवाब में सज्जन घिरा गए और उनकी पोल खुल गई।
शाम को छोड़ दिया था
पुलिस ने दिनभर की पूछताछ के बाद शाम को सज्जन को छोड़ दिया था, लेकिन थाने से निकलने के बाद पुलिस फिर से उसे बुला न ले इस डर से उसने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया। इतना ही नहीं वह रात को जहां रूकता है, वह उस स्थान पर भी पुलिस के डर से नहीं गया। इस बीच पुलिस को शंका हुई और उसने सज्जन कहीं गायब न हो जाए उसके लिए उसके घर की जानकारी जुटाई की वह पहुंचा या नहीं, जिस पर रात को उसके नहीं आने की जानकारी मिली। इसके बाद पुलिस ने कागजी कार्रवाई पूरी कर सुबह उसका पता लगाकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने दिनभर की पूछताछ के बाद शाम को सज्जन को छोड़ दिया था, लेकिन थाने से निकलने के बाद पुलिस फिर से उसे बुला न ले इस डर से उसने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया। इतना ही नहीं वह रात को जहां रूकता है, वह उस स्थान पर भी पुलिस के डर से नहीं गया। इस बीच पुलिस को शंका हुई और उसने सज्जन कहीं गायब न हो जाए उसके लिए उसके घर की जानकारी जुटाई की वह पहुंचा या नहीं, जिस पर रात को उसके नहीं आने की जानकारी मिली। इसके बाद पुलिस ने कागजी कार्रवाई पूरी कर सुबह उसका पता लगाकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
2004 से था यहां पदस्थ
सज्जन सिंह रतलाम आरटीओ कार्यालय में वर्ष 2004 से पदस्थ था। इस बीच उसका दो बार तबादला भी हुआ लेकिन वह कुछ महीने दूसरे जिले में रहा और फिर रतलाम आ गया। यहां का मोह उससे नहीं छूट रहा था। उसके व्यवहार से यहां के बाबू व अन्य कर्मचारी भी उससे परेशान थे, लेकिन उसका कद बड़ा होने के कारण कोई चाह कर भी उसका कुछ नहीं कर पाता था।
सज्जन सिंह रतलाम आरटीओ कार्यालय में वर्ष 2004 से पदस्थ था। इस बीच उसका दो बार तबादला भी हुआ लेकिन वह कुछ महीने दूसरे जिले में रहा और फिर रतलाम आ गया। यहां का मोह उससे नहीं छूट रहा था। उसके व्यवहार से यहां के बाबू व अन्य कर्मचारी भी उससे परेशान थे, लेकिन उसका कद बड़ा होने के कारण कोई चाह कर भी उसका कुछ नहीं कर पाता था।
कलेक्टर से की थी शिकायत
तात्कालीन कलेक्टर बी. चंद्रशेखर को जनसुनवाई के दौरान 17 फरवरी 2017 को पूनमविहार कॉलोनी निवासी वैभवसिंह जादौन ने शिकायत की थी। इसमें बताया था कि लाइसेंस बनवाने के लिए उसने झालानी यातायात एजेंसी पर संपर्क किया था, जहां लर्निंग लाइसेंस के लिए उसे 600 रुपए व पक्के लिए 1300 रुपए सहित कुल 1900 फीस बताई थी। एक माह बाद जब वह पक्के लाइसेंस के लिए गया तो उससे दो हजार रुपए और मांगे गए, पीडि़त का कहना था कि उसे पूर्व में 1300 रुपए बताए थे, जो उसने दे दिए है। इस पर एजेंसी वाले ने उससे फीस बढऩे की बात कही थी। इस पर पीडि़त ने कलेक्टर से शिकायत की थी।
तात्कालीन कलेक्टर बी. चंद्रशेखर को जनसुनवाई के दौरान 17 फरवरी 2017 को पूनमविहार कॉलोनी निवासी वैभवसिंह जादौन ने शिकायत की थी। इसमें बताया था कि लाइसेंस बनवाने के लिए उसने झालानी यातायात एजेंसी पर संपर्क किया था, जहां लर्निंग लाइसेंस के लिए उसे 600 रुपए व पक्के लिए 1300 रुपए सहित कुल 1900 फीस बताई थी। एक माह बाद जब वह पक्के लाइसेंस के लिए गया तो उससे दो हजार रुपए और मांगे गए, पीडि़त का कहना था कि उसे पूर्व में 1300 रुपए बताए थे, जो उसने दे दिए है। इस पर एजेंसी वाले ने उससे फीस बढऩे की बात कही थी। इस पर पीडि़त ने कलेक्टर से शिकायत की थी।
एसडीएम ने की थी कार्रवाई
कलेक्टर से शिकायत के प्रशासन की टीम तात्कालीन एसडीएम सुनील झा की मौजूदगी में यातायात एजेंसी पहुंची थी। अधिकारी यहां ग्राहक बनकर पहुंचे थे और कार्रवाई को अंजाम दिया था। इस दौरान एजेंसी से आरटीओ कार्यालय की करीब पचास फाइलों के साथ कार्यालय की सीले, वाहनों के रजिस्ट्रेशन कार्ड, लाइसेंस सहित अन्य सरकारी दस्तावेज मिले थे। इस पर टीम की शिकायत पर पुलिस ने एजेंसी के संचालक विनोद झालानी, यहां काम करने वाले ईश्वर मालवीय के खिलाफ केस दर्ज किया था। जांच के बाद अब सज्जनसिंह को भी आरोपी बनाया गया है।
कलेक्टर से शिकायत के प्रशासन की टीम तात्कालीन एसडीएम सुनील झा की मौजूदगी में यातायात एजेंसी पहुंची थी। अधिकारी यहां ग्राहक बनकर पहुंचे थे और कार्रवाई को अंजाम दिया था। इस दौरान एजेंसी से आरटीओ कार्यालय की करीब पचास फाइलों के साथ कार्यालय की सीले, वाहनों के रजिस्ट्रेशन कार्ड, लाइसेंस सहित अन्य सरकारी दस्तावेज मिले थे। इस पर टीम की शिकायत पर पुलिस ने एजेंसी के संचालक विनोद झालानी, यहां काम करने वाले ईश्वर मालवीय के खिलाफ केस दर्ज किया था। जांच के बाद अब सज्जनसिंह को भी आरोपी बनाया गया है।