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उज्जैन महाकाल धाम में कैलाश पर बवाल

locationरतलामPublished: Aug 13, 2021 01:35:51 pm

Submitted by:

sachin trivedi

भस्म आरती से पहले पहुंच गए बाबा महाकाल मंदिर, प्रोटोकाल का खुला उल्लंघन, पुजारी को रोका, अब मंदिर प्रशासन कर रहा मामले की जांच, शिव भक्तों में नाराजगी

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उज्जैन. भाजपा के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, उनके विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय व सहयोगी विधायक रमेश मेंदोला शुक्रवार को उज्जैन में नए विवाद का कारण बन गए। दरअसल, कैलाश विजयवर्गीय और उनकी टीम भस्म आरती से पहले मंदिर के गर्भग्रह में पहुंच गई। इस आरती की तैयारी करने आने वाले पुजारी जब गेट पर पहुंचे तो अफसरों ने उनको रोक दिया, इस पर बवाल मच गया। दो गेट पर पुजारी रोके गए तो भस्म आरती भी अपने निर्धारित समय से कुछ देर बाद शुरू हो सकी। शिव भक्तों में इसे लेकर नाराजगी है, क्योंकि उज्जैन महाकालेश्वर महादेव देश में एकमात्र ऐसा स्थल हैं, जहां भस्म आरती का सबसे विशेष महत्व है और ये बड़ी आस्था है।

वीआईपी सत्कार में टूटी प्राचीन परंपरा
नागपंचमी को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने भस्मारती में वीआईपी सहित सभी के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। आरती से पहले कैलाश, आकाश और मेंदोला के साथ दर्शन करने पहुंच गए। कैलाश को विशेष सुरक्षा मिली हुई है, जिसके चलते मंदिर के प्रवेश गेट को रोक दिया गया। पुलिस ने किसी को अंदर आने नहीं दिया, जिसमें भस्मारती करने वाले पुजारियों को भी रोक दिया गया। इस पर पुजारी भड़क गए। कहना था कि आरती करने से कैसे रोका जा सकता है। कुछ देर बाद अफसरों को भनक लगी और पुजारियों को प्रवेश दिया। उनके पहुंचते ही तीनों नेताओं को जाने का इशारा किया गया, क्योंकि आरती में प्रतिबंध था। ये देखकर पुजारी भड़क गए, क्योंकि उनकी वजह से रोका गया। पुजारियों ने बवाल कर दिया। हंगामे और मनाने की वजह से भस्मारती निधा$रित समय पर शुरू नहीं हो सकी। विजयवर्गीय की वजह से मंदिर की वर्षो पुरानी परंपरा टूट गई।

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अब प्रशासन कर रहा है जांच
विजयवर्गीय की वजह से मंदिर की वर्षो पुरानी परंपरा टूट गई। बताते हैं कि बवाल होने पर मेंदोला ने अपने मुंह पर कपड़ा ढक लिया और चुपचाप निकलने का प्रयास किया। पूरे विवाद को मंदिर प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। मंदिर में लगे कैमरों को देखते हुए बारीकी से जांच कराई जा रही है, क्योंकि भस्मारती के पहले दर्शन करने पहुंचे तीनों नेताओं की वजह से बैरिकेड लगा दिए गए थे, पुजारियों को भी रोक दिया। इस पर वे भड़क गए, यह श्रावण में पहला अवसर है जब भस्मारती भी देरी से शुरू हुई।

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