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World Heritage Day: मध्यप्रदेश का सांची स्तूप और महेश्वर घाट विश्वस्तरीय प्रदर्शनी में दिखेंगे

locationरतलामPublished: Sep 27, 2018 03:26:25 pm

Submitted by:

sachin trivedi

मध्यप्रदेश का सांची स्तूप और महेश्वर घाट विश्वस्तरीय प्रदर्शनी में दिखेंगे

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रतलाम. कलाक्षेत्र की अग्रणी कला संस्था जेरवास ऑट्र्स क्लब ग्रीस यूरोप द्वारा विश्वभर में छुपी हुई कला प्रतिभा को विश्व पटल पर अपनी कला प्रदर्शित करने के लिए अपने देशों में अपना अभियान ऑनलाइन किया हुआ है। गरोठ के चित्रकार अजय मिश्रा ने भी अपने चित्रों को विभिन्न माध्यम से इस संस्था को प्रेषित किए। विभिन्न प्रक्रियाओं से होकर उनके द्वारा बनाए गए तीन विभिन्न विषय से सम्बंधित 12 चित्रों को जेरवास कला क्लब द्वारा नवीन प्रतिभाशाली कलाकार वर्ग में सम्मिलित किया गया। जेरवास कला क्लब द्वारा प्रेषित सूचना में अजय मिश्रा के तीन विषय पौराणिक कथाओं पर आधारित, लोककला मांडणा विषय पर निर्मित मयूर श्रृंखला व एतिहासिक धरोहर पर आधारित चित्रों को प्रदर्शित करने के लिए सहमति आमंत्रण पत्र प्राप्त हुआ है।
सहस्त्र शिव, अष्ट विनायक, सरस्वती, मांडणा लोककला
इसमें पौराणिक विषय पर दशावतार, सहस्त्र शिव, अष्ट विनायक, सरस्वती, मांडणा लोककला, विषय पर मयूर श्रृंखला के 4 मांडना चित्र ऐतिहासिक विषय पर निर्मित सांची स्तूप आगरा फोर्ट, महेश्वर घाट,धर्मराजेश्वर गुफा मंदिर को यूरोपीय देश ग्रीस के दो प्रमुख कला केंद्रित नगर सेंटोरिनी की जेर आर्ट गैलरी में दिनांक 4 व 5 अक्टूबर 2018 को तथा मेकोनोस शहर की मेकोनो कला दीर्घा में विश्व के 53 उभरते तथा अन्य नामचीन कलाकारों के सानिध्य में दिनांक 9 से 11 अक्टूबर तक प्रदर्शित किया जा रहा है। इससे पूर्व भी इस शौकिया चित्रकार के चित्रों की प्रदर्शनी देश के लगभग 20 से 25 शहरों की नामचीन कला दीर्घाओं में प्रदर्शित हो चुकी हैं। नईदिल्ली के जवाहरलाल नेहरू कला केंद्र में आयोजित सामुहिक कला प्रदर्शनी का दूरदर्शन केंद्र ने दूरदर्शन पर वृहद कवरेज किया था।
मंदसौर के गरोठ क्षेत्र के कलाकार की प्रतिभा को पहचाना
इस प्रदर्शनी के लिए मंदसौर के गरोठ क्षेत्र के चित्रकार अजय मिश्रा को विश्व स्तरीय संस्था ने पहचाना है। मिश्रा पहले भी कई चित्रों के माध्यम से अपनी अलग पहचान बना चुके है। वे लगातार प्रयासरत थे और हाल ही में मिली विश्व स्तरीय प्रदर्शनी की सूचना से खासे उत्साहित भी है। मिश्रा ने न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश के कई एतिहासिक और धार्मिक स्थलों को भी अपने चित्रों के माध्यम से स्वरूप दिया है। उनकी एक खास चित्रकारी शैली है, जिसके बल पर वे अन्य चित्रकारों से अलग भी नजर आते है।
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