पूर्व की स्थिति के बारे में सविता ने बताया कि खराब आर्थिक हालत के चलते परिवार का भरण पोषण बहुत मुश्किल था। गांव में कभी कभार मजदूरी मिलती, अधिकांश समय बेरोजगारी रहती। घर में 4 सदस्यों का गुजारा मुश्किल से हो रहा था। इसी कष्टप्रद दौर में आजीविका मिशन के माध्यम से गांव में समूह बनाने का काम शुरू हुआ। सविता भी गंगा आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई। समूह की बैठकों में नियमित रूप से जाने लगी।
समूह गठन के बाद गांव में ग्राम संगठन का भी गठन किया गया। ग्राम संगठन के माध्यम से सविता के समूह को 75 हजार रूपए सामुदायिक निवेश की राशि प्राप्त हुई। समूह के सभी सदस्यों की सहमति से सविता को 35 हजार रूपए का ऋण प्राप्त हुआ। उस राशि से सविता ने आटा चक्की और किराने की दुकान प्रारंभ की। धीरे-धीरे उसका व्यवसाय प्रगति करने लगा। प्रतिदिन 400 से 500 रूपए तक की आमदनी शुरू हो गई। इससे परिवार की आर्थिक हालत में सुधार होना शुरू हुआ। पैसों की जो तंगी थी वह दूर हो गई। आज की स्थिति में सविता महीने में 12 हजार से से 13 हजार 500 तक की आमदनी प्राप्त कर लेती है और अपने ऋण की मासिक किस्त भी समय पर चुका रही है। उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है।