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कोर्ट के आदेश पर फिर से खुलने वाली है घोटाले की फाइलें

locationरतलामPublished: Oct 18, 2019 02:01:06 pm

Submitted by:

sachin trivedi

प्रदेश के इस नगरीय निकाय में पीएम आवास योजना में घोटाला

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रतलाम. शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना में हुए 13 लाख के घोटाले की दबी फाइलें अब फिर से खुलने वाली है। मुख्य न्याययिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने एक आवेदन पर स्टेशन रोड पुलिस को मामले में अधिकारियों सहित अन्य की भूमिका की जांच कर दोषियों के खिलाफ चालान पेश करने के आदेश दिए है। मालूम हो कि नगर निगम की शिकायत के आधार पर पुलिस की प्रारंभिक जांच में कई अधिकारियों की भूमिका की ठीक से जांच नहीं करने के आरोप लगे है। विशेषकर नगर निगम की भूमिका कटघरे में दिखाई दी है। अब पूर्व की शिकायत में दर्शाए नामों के आधार पर पुलिस को फिर से जांच करना होगी।
शहर में 13 अपात्रों के नाम से करीब 13 लाख रुपए के फर्जी भुगतान
शहर में 13 अपात्रों के नाम से करीब 13 लाख रुपए के फर्जी भुगतान से जुड़े पीएम आवास घोटाले को लेकर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डीआर कुमरे ने शिकायत में दर्शाए अधिकारियों व तथ्यों पर जांच कर दोषियों के खिलाफ चालान पेश करने के आदेश दिए है। शिकायतकर्ता ममता श्रीवास्तव की ओर से अधिवक्ता अमित पांचाल के आवेदन पर स्टेशन रोड थाना पुलिस को दोबारा जांच करना है। पांचाल ने बताया कि फरियादी श्रीवास्तव ने मामले में कलेक्टर को शिकायत की थी, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। निगम के कार्यपालन यंत्री सुरेशचंद्र व्यास को फरियादी बनाकर सैडमेप कंपनी के कम्प्यूटर ऑपरेटर दीपक कुमावत के खिलाफ पुलिस थाने पर प्रकरण दर्ज करा दिया। जबकि घोटाले में कार्यपालन यंत्री व्यास, आयुक्त एसके सिंह, संबंधित ऑडिटर एवं लेखा विभाग के अधिकारी भी आरोपी थे। पुलिस ने मामले में नगर निगम के इंजीनियर सुहास पंडित और एमके जैन को फर्जी भुगतान पत्रक पर हस्ताक्षर के चलते गिरफ्तार किया था। जबकि जिस सूची के आधार पर भुगतान किया गया, उस पर दीपक कुमावत, इंजीनियर पंडित, जैन के अलावा कार्यपालन यंत्री व्यास, एजिस के राजकुमारसिंह के हस्ताक्षर है।
एक दिन मेें कर दिया करोड़ों का भुगतान
आवेदन में बताया गया कि संबंधित सूची के आधार पर लेखा विभाग, ऑडिट विभाग ने जांच के बाद आयुक्त के आदेश पर भुगतान किया है। पुलिस के शुरूआती चालान में नगर निगम की नोटशीट क्रमांक 84 से 87 पर 294 हितग्राहियों को 50 हजार के मान से 1 करोड़ 47 लाख रुपए का भुगतान आदेश 25 मई 2018 को कार्यपालन यंत्री व्यास ने अकाउंट विभाग को दिया था। इसी दिन नोटशीट अकाउंट विभाग ने भुगतान की अनुशंसा कर दी। नोटशीट क्रमांक 90 से 94 पर 4 जून 2018 को 2 करोड़ 63 लाख 50 हजार का भुगतान 527 हितग्राहियों के बैंक खातों में किए जाने की अनुशंसा पर इसी दिन राशि जारी करने की भी अनुशंसा कर दी गई। 25 मई 2018 को व्यास ने अकाउंट विभाग को पत्र लिखकर 1 करोड़ 47 लाख रुपए जारी किए जाने का पत्र लिखा। जिसका भुगतान आदेश आयुक्त एसके सिंह ने किया, इस भुगतान आदेश पर उनके हस्ताक्षर भी किए है। इस तरह एक ही दिन में करोड़ों की राशि का भुगतान करना बड़े घोटाले का संकेत है।
भुगतान की तय प्रक्रिया के चलते भूमिका पर संदेह
अधिवक्ता पांचाल ने बताया कि कार्यपालन यंत्री व्यास ने 10 सितंबर 2018 को स्टेशन रोड पुलिस को जारी पत्र में बताया गया कि हितग्राहियों के बैंक खाते का विवरण दर्शाने वाली सूची पर सेडमैप-एजिस द्वारा हस्ताक्ष के बाद भुगतान की कार्रवाई के लिए सूची निगम के उपयंत्री को दी जाती है। उपयंत्री परीक्षण कर प्रभारी सहायक उपयंत्री के परीक्षण के बाद कार्यपालन यंत्री को दी जाती है। कार्यपालन यंत्री सूची आयुक्त को भेजते है, आयुक्त से ऑडिट और फिर लेखा विभाग व ऑडिट विभाग के अनुमोदन के बाद आयुक्त द्वारा ऑनलाइन अनुदान की राशि हितग्राहियों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी जाती है। पत्र की इस प्रक्रिया से जांच और सवालों के घेरे में सभी अधिकारियों की भूमिका भी है।
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