सभी गांवों में कर्मचारी लगे सर्वे करने में स्क्रब टाइफस से प्रभावित पिपलौदा, जावरा और आलोट विकासखंडों के आठ गांवों में स्वास्थ्य विभाग की एएनएम, एलएचवी, आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी सहित विभाग का अमला सर्वे करने के लिए लगा हुआ है। सीएमएचओ कार्यालय के एपिडिमियोलॉजिस्ट डॉ. प्रमोद के अनुसार थोड़े से भी बुखार से पीडि़त होने पर व्यक्ति से संपर्क करके उसके लक्षण आदि की जानकारी जुटाई जा रही है। इससे किसी नए मरीज के मिलने पर तुरंत ही उस दिशा में कार्य किया जा सके।
ये अंग भेजे गए हैं चूहों के डॉ. सिंह के अनुसार चूहों के पांच या छह तरह के अंगों में स्क्रब टाइफस का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है। इनमें उनका रक्त जिसकी स्लाइड बनाई गई है। साथ ही लंग्स, स्प्लीन (तिल्ली), चूहों का हृदय और उसका लीवर निकाल कर भेजा गया है। इस प्रक्रिया में पहले चूहों को बेहोंश किया जाता है और फिर उसके अंगों को निकालकर प्रीजर्व किया जाता। इन अंगों को नेशनल सेंटर फार डिसिज कंट्रोल नई दिल्ली (एनसीटीसी) भेजा जा रहा है। यहां इनकी गहनता से जांच की जाएगी।
ऐसे फैलता है यह रोग डॉ. सिंह के अनुसार स्क्रब टाइफस के जिले पिस्सू नामक कीट जिम्मेदार होता है। यह झाडिय़ों में, जंगलों में रहता है। यह परजीवी होता है जो चूहों के माध्यम से घरों तक पहुंच जाता है। बरसात में चूहे घरों तक आ जाते हैं और चूहा इस पिस्सू के परिवहन का बेहतर साधन होता है क्योंकि ये उसके कान में चिपक जाते हैं। चूहे घर में प्रवेश करते हैं तो निश्चित रूप से हमारे कपड़े, बिस्तर तक भी पहुंचते हैं। इसी दौरान यह पिस्सू वहां छूट जाता है। चूहे के कान और शरीर पर रहने के दौरान उसका खून भी पीते हैं तो चूहा भी प्रभावित हो जाता है। बिस्तर और कपड़ों में रहने के दौरान व्यक्ति को काटने से ऐसा घाव बनता है जैसे जलती हुई सिगरेट से दाग लगता है। समय पर पता चलने पर इलाज भी संभव है।
लार्वा से फैलता है स्क्रब टाइफस पिस्सू के लार्वा से स्क्रब टाइफस फैलता है। यह व्यक्ति को काटता है और इसके दांत के माध्यम से लार्वा व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है। चूहे इसके सबसे बेहतर परिवाहक होते हैं। इसलिए इनकी जांच की जा रही है। यदि इनमें लक्षण मिलते हैं तो पूरे क्षेत्र के लिए आगे की रणनीति तय की जाएगी।
डॉ. शैलेंद्र कुमार सिंह, राज्य कीट वैज्ञानिक