मकर संक्रांति पर्व अन्तर्गत शहर के शास्त्रीनगर स्थित अय्यपा मंदिर पर अनुयायियों ने मण्डलम् मकरविलक्क पूजा की। शाम होते मंदिर पर सैकड़ों की संख्या में दीप प्रज्जवलित कर भगवान अय्यपा की आरती की। समाजजनों के अनुसार यह पर्व नवंबर माह से शुरू होकर 14 जनवरी मकर संक्रांति तक मनाया जाता है। 60 दिवसीय पर्व के अन्तर्गत प्रतिदिन शाम 7.30 से 8.30 बजे तक भजन किए गए। प्रत्येक माह के पहले रविवार और मण्डलम् मकर विलक्क के दौरान पहले सात रविवार भागवत पाराणय व अन्नदान का आयोजन हुआ। इस दौरान कई श्रद्धालु शबरिमला के लिए तीर्थाटन जाते हैं। शहर में करीब 70 परिवार निवास करते हैं।
रतलाम का अय्यप्पा मंदिर
रतलाम के शास्त्रीनगर में 1985 से भगवान अय्यप्पा का मंदिर है। कृष्णशिला में निर्मित भगवान अय्यप्पा की मूर्ति केरल एवं मार्बल से निर्मित भगवान श्रीगणेश की मूर्ति जयपुर से लाई गई। मंदिर के पुजारी ईश्वरन नम्बृतिरी और विजय पण्डया है। यहां शहर में 70 मलयाली परिवार निवासरत है और 1970 के दशक में अय्यप्पा सेवा संघम् नामक एक धार्मिक संस्था का गठन किया। सभी ने मिलकर घरों में समय-समय पर भजन कीर्तन करना आरंभ किया। केवल वही पंडित जो वेद मंत्रों का अच्छा ज्ञाता हो, मंदिर के अंदर पूजा अर्चना कर सकता है।
रतलाम के शास्त्रीनगर में 1985 से भगवान अय्यप्पा का मंदिर है। कृष्णशिला में निर्मित भगवान अय्यप्पा की मूर्ति केरल एवं मार्बल से निर्मित भगवान श्रीगणेश की मूर्ति जयपुर से लाई गई। मंदिर के पुजारी ईश्वरन नम्बृतिरी और विजय पण्डया है। यहां शहर में 70 मलयाली परिवार निवासरत है और 1970 के दशक में अय्यप्पा सेवा संघम् नामक एक धार्मिक संस्था का गठन किया। सभी ने मिलकर घरों में समय-समय पर भजन कीर्तन करना आरंभ किया। केवल वही पंडित जो वेद मंत्रों का अच्छा ज्ञाता हो, मंदिर के अंदर पूजा अर्चना कर सकता है।
मंदिर में देव दर्शन कर किया दानपुण्य
मकर संक्रांति का पर्व शहर में सोमवार को श्रद्धा भक्ति और उल्लास भरे वातावरण में मनाया गया। धर्मालु ब्रह्ममुहूर्त में देव दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे, निराश्रितों में दानपुण्य कर धर्मलाभ लिया। गौशालाओं में भी पूरे दिन गोसेवा के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती रही। कोई लाप्सी तो कोई हरी घास लेकर खिलाता नजर आया। 14 जनवरी को सूर्यास्त के पश्चात संध्या 7 बजकर 51 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने के कारण सूर्य संक्राति की उदयातिथि 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति का पर्व मनाई गई।
मकर संक्रांति का पर्व शहर में सोमवार को श्रद्धा भक्ति और उल्लास भरे वातावरण में मनाया गया। धर्मालु ब्रह्ममुहूर्त में देव दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे, निराश्रितों में दानपुण्य कर धर्मलाभ लिया। गौशालाओं में भी पूरे दिन गोसेवा के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती रही। कोई लाप्सी तो कोई हरी घास लेकर खिलाता नजर आया। 14 जनवरी को सूर्यास्त के पश्चात संध्या 7 बजकर 51 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने के कारण सूर्य संक्राति की उदयातिथि 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति का पर्व मनाई गई।
जरुरतमंदों को भोजन और कंबल वितरण मकर संक्रांति पर्व पर शहर के कालिका माता मंदिर, सैलाना रोड स्थित श्रीराम आदि मंदिरों पर सुबह से भक्तों दर्शन वंदन करते नजर आए। इसके बाद निराश्रितों को तिल पपड़ी, तो कोई वस्त्रादि दान कर पुण्यलाभ लेता नजर आया। शहर की गोपाल गौशाला, बरवड़ हनुमान मंदिर गौशाला पर भी बड़ी संख्या में नागरिकों ने परिवार सहित पहुंचकर गायों की सेवा कर उन्हे लाप्सी और हरी घास खिलाई। माणकचौक व्यापारियों ने मकर संक्रांति पर जरूरतमंदों के लिए भोजन प्रसादी का आयोजन किया। व्यापारियों ने आर्थिक सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में दुरुस्त अंचलों से आने वाले जरूरतमंदों को मिष्ष्ठान व व्यंजनों के साथ भोजन प्रसादी करवाई गई। साथ ही कंबल एवं वस्त्र का वितरण भी किया गया। सैकड़ों की तादात में लोगों ने भोजन प्रसादी ग्रहण की। इस मौके पर महेश मित्तल, सोनू व्यास, मितेश मित्तल, नारायण पोरवाल, मुकेश अग्रवाल, राधेश्याम पोरवाल, गौरीशंकर माली, ब्रजमोहन पालीवाल, आशीष मित्तल, पंकज सांकला, ओमप्रकाश पोरवाल, रामेश्वर सोनी, जगदीश सांकला, अभिषेक पालीवाल, महेश पंड्या सहित आदि व्यापारी उपस्थित थे।