scriptशिवभक्त ने जगाया देशभक्त का अलख…लगा आया बद्रीनाथ में त्रिशूल | Siva worshiped the patriot of the awakened felt the trident in Bad | Patrika News

शिवभक्त ने जगाया देशभक्त का अलख…लगा आया बद्रीनाथ में त्रिशूल

locationरतलामPublished: Jan 30, 2018 12:45:44 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

शहिदों की याद में रतलाम के शिवभक्त बलवीरसिंह पंवार ने अमर शहिदों नमन कर बद्रीनाथ में स्थापित किया महाकाल का महाबली त्रिशूल

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रतलाम। बाबा अमरनाथ के अनन्य भक्त ने जब देशभक्ति में लगे वीर सैनिकों की सेवा देखी, देखते ही देखते शिवभक्त अब देशभक्त बन गया और शहिदों की शहादत को नमन करते हुए रतलाम से २४ किलो वजनी त्रिशूल लेकर बद्रीनाथ गया और वीर सैनिकों से पूजा अर्चना करवाकर मंदिर परिसर में स्थापित कर आया। ऐसी ही भक्त है रतलामवासी बलवीरसिंह पंवार, जिन्होंने बद्रीनाथ में शहिदों को नमन करते हुए उनकी शहादत की याद में वीर सैनिकों के हाथों से पूजा पाठ करवाकर महाकाल का महाबली त्रिशूल स्थापित करवाया। पंवार का कहना है कि बाबा अमरनाथ की महिमा निराली है।
अब तक १२ त्रिशूल लगाए तीर्थ स्थानों पर

अमरनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ, स्वर्गारोहिणी, मानसरोवर कई बार वीर सैनिकों से यात्रा के दौरान मिलना हुआ और उनकी सेवा और समर्पण देखकर देश के लिए शहिद हो रहे देशभक्तों को नमन करते हुए त्रिशूल स्थापित करने की इच्छा हुई और कर आए। इससे पूर्व भी कई त्रिशूल तीर्थों पर स्थापित उज्जैन महाकाल से लेकर केदारनाथ की यात्रा कर अब तक १२ त्रिशूल चढ़ा चुके हैं। बद्रीनाथ पर चढ़ाया गया त्रिशूल २४ किलो वजनी है, जिसे भक्तिभाव से पूजा पाठ करवाकर शहिदों की याद में स्थापित करवाया गया है। बलवीरसिंह पंवार का कहना है कि अब तक बाबा अमरनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ, स्वर्गारोहिणी, मानसरोवर, उज्जैन महाकाल आदि की यात्रा कर यहां पर त्रिशूल भी स्थापित किए गए है। यात्रा के साथ त्रिशूल स्थापित करने का सिलसिला जारी है, बाबा जहां-जहां त्रिशूल स्थापित करने की शक्ति प्रदान करते रहेंगे उस मार्ग चलता रहुंगा।
बदरीनाथ-केदारनाथ से मिला प्रमाण पत्र

शिवभक्त बलवीरसिंह पंवार को बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की और से प्रमाण पत्र भी दिया गया है। जिसमें लिखा है कि भगवान बदरीनाथ के प्रति श्रद्धा भावानुसार बदरीनाथ भ्रमण के दौरान अष्टधातु की बनी त्रिशूल दान स्वरूप प्रदान करते हुए श्री बदरीनाथ मंदिर परिसर में घंटाकर्ण मंदिर के सम्मुख लगवाई गई है। इस पुण्य सहयोग के लिए मंदिर समिति आपकी आभारी है।
इंदिरानगर में बना शहिदों की याद में पार्क उजड़ा

शहिदों की याद में एक मात्र बनाया गया इंदिरा नगर में शहिद पार्क दुर्दशा के शिकार हो रहा हैं। ऐसा नहीं की इस पार्क के संबंध में किसी को मालूम नहीं है। फिर भी अफसर हो या जनप्रतिनिधि बरसों से किसी ने इस और ध्यान नहीं दिया। आज यह पार्क अतिक्रमण और अनदेखी का शिकार होकर शहिदों की शहादत याद दिलाते हुए देश की व्यवस्थाओं को मुंह चिढ़ा रहा है। पार्क उजड़ा पड़ा है, वहीं यहां लगाई गई जालियां तक तोड़ दी गई, तो अब क्षेत्रवासियों द्वारा पार्क में वाहन व अन्य सामग्री रखने तक का स्थान बना लिया। २६ जनवरी, १५ अगस्त के दिन शासकीय व सार्वजनिक स्थानों पर हर्षोउल्लास के साथ झंडा वंदन किया जाता है, लेकिन इस शहीद पार्क की तरफ किसी ने मुड़कर नहीं देखा। क्षेत्रवासियों की माने तो कारगील युद्ध के बाद शहिदों की याद में इंदिरानगर में एक बगीचे को तत्कालीन कलेक्टर मनोज झालानी के कार्यकाल में शहिद पार्क बनाया गया था। क्षेत्रवासी राकेश मिश्रा ने बताया कि क्षेत्रवासियों की मांग पर पूर्व में वनमंत्री रहे हिम्मत कोठारी के कार्यकाल में टूटी हुई जालियों को हटाकर इसकी तारफेसिंग करवाई गई थी। इसके बाद से निरंतर यह अव्यवस्थाओं का शिकार हो रहा है। इस संबंध में सभी को जानकारी है। इस संबंध में वर्तमान महापौर से भी चर्चा की गई थी, उन्होंने कहा था कि काली मिट्टी डाली जा रही है, लेकिन एक डंपर के बाद वह भी नहीं आया। आज स्थिति बहुत खराब है, कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इस पार्क को विकसित कर शहिदों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर याद किया जाना चाहिए, ना की इस प्रकार से शहिदों की याद में बनाकर छोड़ देना चाहिए।
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