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रतलाम जिले के सबसे बड़े प्ले ग्राउंड का हाल देखें और पढे़…..

locationरतलामPublished: Sep 03, 2018 11:22:02 am

Submitted by:

Virendra Rathod

– पानी की निकासी नहीं होने के कारण स्टेडियम भरा रहता है बरसाती पानी
 

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रतलाम जिले के सबसे बड़े प्ले ग्राउंड का हाल देखें और पढे़…..

रतलाम। रतलाम शहर को स्मार्ट सिटी का बनाने का दंभ भरने वाले निगम प्रशासन की अनदेखी के कारण यहां का एक मात्र बड़ा प्ले ग्राउंड नहेरू स्टेडियम दुर्दशा का शिकार बना हुआ है। 20 वर्षों में चार महापौर ने कमान संभाली और स्टेडियम के जीर्णोउद्धार को प्राथमिकता में रखा, परंतु कार्य कुछ नहीं किया। हालात यह है कि स्टेडियम में पानी की निकासी नहीं होने के कारण बरसात को दिनों में यहां तालाब बन जाता है। कीचड़ में फिसलकर खिलाड़ी खेलते है और कुछ आना बंद कर देते हैं। शहर के जनप्रतिनिधि और प्रशासन का ध्यान नहीं होने के कारण खिलाडि़यों की प्रतिभा का दम घुट रहा है। ज्ञातव्य है कि स्टेडियम को पूरा नए सिरे से बनाने के लिए खेल विभाग ने भी प्रस्ताव दे रखा है, लेकिन जिला प्रशासन ने आज तक उन्हें सौंपने के लिए कदम नहीं उठाया। इन सभी के बीच में खेल प्रतिभा पीस रही है।

 

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पत्रिका टीम ने जिले के सबसे बड़े स्टेडियम में जाकर देखा तो दुर्दशा का अंबार बिखरा पड़ा है। एेसा लगता है किसी पुराने खंडर के बीच में आकर खड़े हो गए हो। स्टेडियम की चार दीवारी जर्जर हो रही है। बैठने का पेवेलियन की सीढी और भवन भी जर्जर है। वहीं ग्राउंड बरसात में किसी तालाब से कम नहीं लगता है। मैदान में पानी भरा है और लंबी घास उगी है। पानी की निकासी तक की व्यवस्था नहीं है। जिम की हालत बदत्तर है और खिलाड़ी के चेजिंग रूम में पुताई तक नहीं हुई और न ही प्रोपर लॉकर है। शहर में महापौर जयंतीलाल , आशा मौर्य, शैलेंद्र डागा और सुनीता यार्दे ने कार्यकाल के दौरान हमेशा स्टेडियम के जीर्णोद्धार की बात कही, लेकिन अभी तक यह अपनी दुदर्शा सुधरने का इंतेजार कर रहा है। मजबूरन खेल प्रतिभा को इस बड़ी चुनौती से गुजरना पड़ रहा है। निगम के द्वारा स्टेडियम की चारदीवारी से सटी कई दुकाने किराए पर चलाई जाती है। जहां से उनकी मोटी इन्कम होती है। इसके चलते भी वह स्टेडियम को खेल विभाग को नहीं सौंपना चाहते हैं।

राजनीति इच्छा शक्ति की कमी

रतलाम जिले से राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हर साल निकलते हैं। लेकिन कभी खिलाडि़यों के प्रोत्साहन के लिए खेल विभाग या जिला प्रशासन के द्वारा कुछ नहीं किया गया है। सतना, रीवा और मंदसौर जैसे जिलो के स्टेडियम काफी अच्छे बने हैं। जबकि राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी यहां से निकलते है। उसके बाद यहां पर प्ले ग्राउंड तक अच्छा नहीं है। संतोष ट्रॉफी करीब दस से पंद्रह खिलाड़ी रतलाम के खेले हुए हैं। रतलाम एमपी चेम्पियन भी फुटबॉल में रहा है। स्टेडियम की हालत इतनी जर्जर है कि कभी हादसा हो सकता है और खिलाड़ी को चोट पहुंचती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।

– आशीष डेनियल, सचिव जिला फुटबॉल एसोसिएशन।

उदासीनता का शिकार

पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी और महापौर शैलेंद्र डागा ने स्टेडियम के पुन: निर्माण और जीर्णोद्धार के लिए बजट सेंशन करवाया था। अब प्रदेश से लेकर केंद्र तक भाजपा की सरकार है। उसके बाद अगर स्टेडियम को जीर्णोद्धार नहीं हो रहा है तो यह साफतौर पर राजनैतिक और जिला प्रशासन की इच्छा शक्ति कमजोर होने का अभाव है। इसके लिए सभी से मिलकर इसके सुधार के प्रयास किए जाएंगे।

– यतींद्र भारद्धाज, अध्यक्ष भाजपा खेल प्रकोष्ठ रतलाम।

निगम की देखरेख में है

नहेरू स्टेडियम के कार्य करवाने का जिम्मा निगम प्रशासन का है। इसमें वह हस्तक्षेप नहीं कर सकते है। हालांकि खेल प्रतिभाओं के लिए चितिंत होने के चलते जिला प्रशासन को खेल विभाग हस्तांतरित करने का प्रस्ताव बनाया गया था। जिसके बाद उसे नए रूप में पूरी तरह से तैयार करने का प्रस्ताव था। जिसमें ग्रास ग्राउंड, पेवेलियन, पिच इत्यादि का निर्माण शामिल है। पूरे एक साल हो गए है, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया है। अब खेल विभाग सालाखेड़ी के पास जमीन आवंटन के लिए प्रस्ताव बनाकर प्रयास किया जा रहा है। जिससे रतलाम की खेल प्रतिभाओं को तराशा जा सके।

– मुकुल जॉय बेंजामिन, खेल अधिकारी रतलाम।

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