यह होना चाहिए व्यवस्था
– शौचालय का उपयोग करने के बाद हाथ धोने के लिए साबुन का होना।
– हाथ पौंछने के लिए तौलियों की व्यवस्था जो बेसिन पर ही लगा होना।
– सफाई के लिए क्लीनर और फिनाइल का पूरे समय उपयोग होना।
– महिलाओं के लिए सेनेटरी पेड और उसका इंसीनेटर होना।
– सुलभ में २४ घंटे पर्याप्त और निर्बाध पानी की उपलब्धता होना।
– टायलेट और शौचालयों को स्वच्छ रखा जाना।
– नहाने आने वालों के लिए साबुन की व्यवस्था होना।
स्टेशन रोड शौचालय
स्टेशन रोड थाने के ठीक सामने बने सुलभ काम्प्लेक्स में शाम करीब पौने चार बजे जैसे ही प्रवेश किया। यहां एक कर्मचारी सामने की टेबल पर बैठा मोबाइल में गाने सुन रहा था। यह कर्मचारी यहां की व्यवस्था देखता है। अंदर जाकर देखा तो वाश बेसिन में न तो साबुन था और न ही यहां तौलिया टंगा हुआ मिला। अंदर शौचालयों के हाल देखे तो लोगों के आने जाने की वजह से कीचड़़ की वजह से खराब हो रहे थे। साफ-सफाई के लिए यहां न तो क्लीनर था और न ही फिनाइल की व्यवस्था। दूसरी तरफ महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था थी। नियम अनुसार यहां सेनेटरी पेड मशीन लगी है किंतु उसमें कोई पेड नहीं था न ही सेनेटरी पेड को डिस्पोजल करने के लिए इंसीनेटर मशीन ही चालू पाई गई। कर्मचारी वीरेंद्रकुमार का कहना है कि वह २०-२५ दिन पहले ही आया इसलिए यहां क्या व्यवस्थाएं हैं उसे पता नहीं है।
निगम परिसर का सुलभ
निगम परिसर में ही पैलेस रोड पर पिछले सालों में ही सुलभ शौचालय बनाया गया है। इस शौचालय में शाम करीब सवा चार बजे पहुंचने पर यहां भी हालात कुछ वैसे ही मिले जैसे स्टेशन रोड सुलभ शौचालय के मिले थे। यहां भी न तो हाथ धोने का साबुन ही साबुनदानी में उपलब्ध था और न ही तौलिया। पूछने पर यहां पदस्थ कर्मचारी अशोककुमार चौबे का कहना था कि तौलिया लोगों ने खराब कर दिया इसलिए धोकर रखा है। साबुन के बारे में पूछा तो एक छोटा सा टूकड़ा पड़ा मिला। सफाई के सामान भी यहां पर्याप्त नहीं मिले। खास बात यह है कि महिलाओं के सेनेटरी पेड की कोई मशीन और उसका इंसीनेटर यहां लगा ही नहीं था। यहां के कर्मचारी का भी कहना था कि उसे एक माह ही हुआ यहां आए हुए।
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निगम के अधिकारियों को करनी चाहिए निगरानी
निगम के अधिकारियों को सुलभ शौचालयों में उपलब्ध सुविधाओं का समय-समय पर निरीक्षण करना चाहिए। हम बनाकर संस्था को देते हैं तो बाद में उसे नियमित करने का काम संस्था का होता है किंतु इनका निरीक्षण करना भी जरुरी होता है। ये लोग क्यों नहीं कर रहे हैं इस पर इनसे चर्चा करेंगे।
डॉ. सुनीता यार्दे, महापौर, रतलाम