वर्तमान में मलेरिया विभाग के पास ग्रामीण क्षेत्रों में मलेरिया सहित अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए सात लीटर दवा है। इसके अतिरिक्त विभाग ने करीब पचास लीटर दवा और बुलवाई है। विभाग की माने तो वैसे तो इतनी दवा पर्याप्त है, क्यो कि दस लीटर पानी में सिर्फ ढ़ाई एमएल दवा को डालकर दवा का घोल तैयार कर जहां जरूरत होती है, सिर्फ वहीं पर छिड़काव किया जाता है। शेष स्थान पर इसकी आवश्यकता नहीं है। बारिश में लार्वा हर जगह पनपता है लेकिन कौन सा बीमारी वाला है, टीम वह देखकर उक्त स्थान पर दवा छिड़काव का काम करती है।
महापौर के साथ अधिकारी से चर्चा
शहर को बीमारी के प्रकोप से बचाने के लिए मलेरिया विभाग के अधिकारी प्रमोद प्रजापति ने हालही में महापौर डॉ. सुनीता यार्दे के साथ नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अमले के साथ चर्चा की। शहर में दवा छिड़काव के लिए मलेरिया विभाग के १२ लोग की टीम के साथ निगम के 10 से 12 लोग मांगे है, जिन्हे विभाग प्रशिक्षण देकर दवा का छिड़काव करेगा। वर्तमान में विभाग की टीम ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन करीब 250 एमएल दवा को पानी में मिलाकर उसे तैयार करजहां बीमारी के लार्वा पनप रहे है, वहां पर उसका छिड़काव करा रही है।
शहर को बीमारी के प्रकोप से बचाने के लिए मलेरिया विभाग के अधिकारी प्रमोद प्रजापति ने हालही में महापौर डॉ. सुनीता यार्दे के साथ नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अमले के साथ चर्चा की। शहर में दवा छिड़काव के लिए मलेरिया विभाग के १२ लोग की टीम के साथ निगम के 10 से 12 लोग मांगे है, जिन्हे विभाग प्रशिक्षण देकर दवा का छिड़काव करेगा। वर्तमान में विभाग की टीम ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन करीब 250 एमएल दवा को पानी में मिलाकर उसे तैयार करजहां बीमारी के लार्वा पनप रहे है, वहां पर उसका छिड़काव करा रही है।
एक डेंगू और स्वाइन फ्लू का मरीज
मलेरिया विभाग की अग्रिम तैयारी के चलते वैसे तो इस बार मलेरिया का प्रकोप गत वर्ष की तुलना से कम है, लेकिन यदि शहर में यह बीमारी पैर पसारती तो निगम के पास आमजन को इससे बचाने के लिए कोई खास रणनीति अब तक नहीं थी। दअसल निगम के अमले को तो ये भी नहीं पता की कौन सी दवा छिटी जाती है और वह कहां से खरीदना है, एेसे में बचाव की बात तो बहुत दूर की है। ये हालत तब है जबकि शहर में स्वाइन फ्लू और डेंगू ने दस्तक दे दी है और दोनों बीमारी के एक-एक मरीज सामने आ चुके है।
मलेरिया विभाग की अग्रिम तैयारी के चलते वैसे तो इस बार मलेरिया का प्रकोप गत वर्ष की तुलना से कम है, लेकिन यदि शहर में यह बीमारी पैर पसारती तो निगम के पास आमजन को इससे बचाने के लिए कोई खास रणनीति अब तक नहीं थी। दअसल निगम के अमले को तो ये भी नहीं पता की कौन सी दवा छिटी जाती है और वह कहां से खरीदना है, एेसे में बचाव की बात तो बहुत दूर की है। ये हालत तब है जबकि शहर में स्वाइन फ्लू और डेंगू ने दस्तक दे दी है और दोनों बीमारी के एक-एक मरीज सामने आ चुके है।
निगम अमले को देंगे प्रशिक्षण
– नगर निगम के अमले को प्रशिक्षण देकर साथ लेकर दवा छिड़काव का काम किया जाएगा। इसके लिए टीम के सदस्यों की जानकारी मांगी है। सभी को प्रशिक्षण देने के बाद मलेरिया विभाग की टीम के साथ इन्हे शामिल कर दवा छिड़काव का काम किया जाएगा।
प्रमोद प्रजापति, जिला मलेरिया अधिकारी, रतलाम
– नगर निगम के अमले को प्रशिक्षण देकर साथ लेकर दवा छिड़काव का काम किया जाएगा। इसके लिए टीम के सदस्यों की जानकारी मांगी है। सभी को प्रशिक्षण देने के बाद मलेरिया विभाग की टीम के साथ इन्हे शामिल कर दवा छिड़काव का काम किया जाएगा।
प्रमोद प्रजापति, जिला मलेरिया अधिकारी, रतलाम