दस किमी दूर विस्फोटों से दहलते पहाड़
रतलामPublished: Sep 17, 2015 11:26:00 pm
पेटलावद के दर्दनाक हादसे
के बाद विस्फोटक सामग्री को लेकर चौतरफा घेराबंदी का दावा किया जा रहा है, लेकिन
रतलाम।पेटलावद के दर्दनाक हादसे के बाद विस्फोटक सामग्री को लेकर चौतरफा घेराबंदी का दावा किया जा रहा है, लेकिन शहर से महज 10 किमी दूर ही ब्लास्टिंग जारी है। माइनिंग खदानों में धड़ल्ले से धमाके हो रहे हैं। कभी सुबह तो कभी शाम पहाड़ों को दहलाकर गिट्टी निकाली जा रही है।
हालांकि अफसर सबकुछ नियम कायदों में होने की दलील दे रहे हैं, लेकिन अवैध ब्लॉस्टिंग का खुलासा क्रेशिंग केन्द्रों पर ही हो रहा है। पत्रिका ने पड़ताल की तो सामने आया कि यहां ब्लास्टिंग के लिए कोई नीति नियम नहीं, कोई वक्त नहीं।
हवा में कायदे
हाल में पेटलावद हादसे के बाद सभी जगह जांच के दावे हो रहे है, वहीं रतलाम से कुछ दूरी पर बिना नियमों के अनवरत होते इन विस्फोटों पर कोई रोक टोक नहीं।
प्रशासन के पास अब तक विस्फोटक सामग्री भंडारण और विस्फोटकों के उपयोग संबंधी अपडेट सूची ही नहीं है। किसी को ये नहीं मालूम कि गिट्टी निकालने के लिए उपयोग में लाई जा रही विस्फोटक सामग्री कहां से आ रही है।
केवल कुछ दूरी पर खतरा
शहर से महज 10 किमी की दूरी पर बंजली व नंदलाई की माइनिंग खदानों में धड़ल्ले से धमाके हो रहे है। खनिज विभाग और प्रशासन की टीम ने अब तक इन इलाकों में खनन करने वाले ब्लॉस्टिंग ठेकेदारों का सत्यापन तक नहीं किया है।
हर दिन सुबह और शाम पहाड़ चीर कर गिट्टी खनन हो रहा है। बावजूद इसके विभागीय अफसर रसूख के इस खतरनाक खनन से दूरी बनाए हुए है।
आप भी करा लो 160 में एक रॉड का विस्फोट
माइनिंग खदानों पर विस्फोट करने वाले किस तरह कायदों को ताक पर रखते हैं इसका खुलासा वहां तैनात कर्मचारी ही कर रहे हैं। पत्रिका टीम से चर्चा (रिकार्डिंग) में एक कर्मचारी ने बताया कि बंजली व नंदलाई क्षेत्र में आज भी खनन के लिए विस्फोट किए जा रहे हैं।
पेटलावद हादसे के बाद अब तक कोई भी अधिकारी यहां जांच करने नहीं पहुंचा। कुछ क्रेशिंग केन्द्रों से जुड़े ठेकेदार सोमवार व मंगलवार को नहीं आए, लेकिन कार्य जारी रहा।
पहले दिन में भी खनन होता था अब सुबह जल्दी ये कार्य कर लिया जाता है। चर्चा में कर्मचारी ने बताया कि बाहर का व्यक्ति भी यहां आने वाले ठेकेदारों से अपने कुएं आदि के लिए खनन कार्य करा सकते हैं। इसके लिए ठेकेदार से अलग से बात करनी पड़ती है।
राजस्थान व गुजरात से आते हैं ब्लॉस्ट करने वाले
माइनिंग खदानो पर तैनात कर्मचारियों से पत्रिका टीम ने बुधवार को चर्चा (रिकार्डिंग भी ) की। पहले तो कर्मचारी कुछ बताने से ही इनकार करते रहे, लेकिन जब चर्चा चली तो अवैध ब्लॉस्टिंग की सौदेबाजी उजागर हो गई। दरअसल, शहर से लगे बंजली व नंदलाई में माइनिंग की खदानों पर ट्रेक्टर के जरिए विस्फोटकों का उपयोग करने वाले ठेकेदारों को लगाया जाता है। इनकी वास्तविक संख्या या रिकार्ड खनिज विभाग के पास भी नहीं है।
कर्मचारियों ने बताया कि खदानों पर रतलाम के साथ ही राजस्थान व गुजरात के ठेकेदारों से भी काम लिया जाता है।
इनमें कईयों के पास लाइसेंस नहीं है, इसलिए प्रति 5 फीट की रॉड के बदले 160 से 180 रूपए तक लिए जाते है। जबकि आम तौर पर ये दर प्रति रॉड 120 रूपए तक ही होती है। जिले में रतलाम के साथ ही जावरा व आलोट में विस्फोटकों का उपयोग कर खनन कार्य किया जाता है।
धमाकों से गिट्टी लाने तक का ठेका
स्टोन क्रेशिंग केन्द्रों पर खदानों में धमाकों से लेकर गिट्टी पहुंचाने तक का पूरा कार्य ठेके पर कराया जा रहा है। संबंधित केन्द्र गिट्टी क्रेशिंग करते हैं। चर्चा के दौरान एक क्रेशिंग केन्द्र के कर्मचारी ने साफ कहा कि यहां अवैध ब्लॉस्टिंग वाले भी काम में लगाए जाते हैं। खदानों के रास्ते पर ट्रेक्टरों के टायरों के निशान बताते है काम लगातार चल रहा है।
खनिज उपसंचालक पवन शिल्पी
पत्रिका: बंजली व नंदलाई क्षेत्र में खनन की अनुमति हैं या नहीं।
उपसंचालक: गिट्टी-मुरम खदान व स्टोन क्रेशिंग की अनुमति है।
पत्रिका: पेटलावद हादसे बाद यहां निरीक्षण किया गया या नहीं।
उपसंचालक: बड़ा कार्य नहीं होता, फिलहाल निरीक्षण नहीं किया है।
पत्रिका: विस्फोटक उपयोग वाले कितने अनुमतिधारी है।
उपसंचालक: हमारे पास डेटा नहीं है, आगरा से अनुमति मिलती है।
पत्रिका: फिर आप कार्रवाई या जांच किस तरह कर पाते हैं।
उपसंचालक: अपडेट सूची बुलाई है, आते ही निरीक्षण होगा।
15 खदानों से निकल रही गिट्टी
विभाग के मुताबिक बंजली और नंदलाई क्षेत्र में 15 माइनिंग खदाने गिट्टी व मुरम की है। सात स्टोन क्रेशिंग केन्द्रों पर गिट्टी बनाने की अनुमति दी है। किस खदान पर कितनी ब्लॉस्टिंग होती है, कितने ब्लॉस्टिंग ठेकेदार हैं यह किसी अफसर को नहीं मालूम। प्रशासन के पास ब्लॉस्टिंग वाले लाइसेंसधारियों की अपडेट सूची नहीं है। अब तक सत्यापन नहीं हुआ है।
सचिन त्रिवेदी/ वीरेंद्रसिंह राठौड़