यह बात मालव माटी के संत मां सरस्वती के वरदपुत्र पं. कमलकिशोर नागर ने ग्राम हरथली में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान हजारों की जनमेदिनी को संबोधित करते हुए कही। पं. नागर ने बताया कि संग्रह में नहीं त्याग में शांति है। संग्रह से त्याग ऊंचा है, त्याग संग्रह में बदल जाए, त्याग से शांति मिलती है। व्यापारी को स्टाक के बजाए सेल में आनंद है, क्योंकि व्यापारी चाहता है कि संग्रह की गई सामग्री शाम तक सेल हो जाना चाहिए। जितनी भी अच्छी सामग्री है, उसे छोडऩे पर पीड़ा होगी। प्रार्थना करो प्रभु दर्शन दे दो…पर त्याग के बगैर प्राप्ति नहीं होगी, त्याग ईश्वर की पीठ है और प्रभु भी त्याग के पीछे खड़ा है। प्रेम व परमात्मा देने से मिलता है। यह विचार पं. कमलकिशोर नागर ने मंगलवार को ग्राम हरथली में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में त्याग का महत्व श्रद्धालुओं को समझाते हुए व्यक्त किए।
ना अब कोई देने वाला है ना कोई अब लेने वाला
हजारों की संख्या में प्रभु भक्ति और अमृत वचनों का आनंद लेने के लिए भक्त महिला-पुरुष और युवा उमड़ रहे हैं। पं. नागर ने कथा के माध्यम से सबको एक साथ चलने और सहयोग करने का आव्हान किया। उन्होंने आगे बताया कि देने वाला दे गए अब देना वाला कोई नहीं, लेने वाला ले गए अब लेने वाला कोई नहीं। बली जैसा देने वाला और वामनदेव जैसा लेना वाला अब कोई नहीं। बली ने तन, मन, और धन देकर सर्वत्र न्यौछावर होकर प्रभु को पा लिया। अगर ऐसा लेने वाला आ जाए तो देने में देर मत करना, न्यौछावर की बात करना। संकट में भगवान को मत छोडऩा, हम यह लगता है कि भगवान ने बुरा किया, थोड़ा समझने का फेर है। इस मन को एक बार समझा दो की बहुत बुरा नहीं करते थोड़ा बुरा हुआ, और कुछ भी हो सकता था।
हजारों की संख्या में प्रभु भक्ति और अमृत वचनों का आनंद लेने के लिए भक्त महिला-पुरुष और युवा उमड़ रहे हैं। पं. नागर ने कथा के माध्यम से सबको एक साथ चलने और सहयोग करने का आव्हान किया। उन्होंने आगे बताया कि देने वाला दे गए अब देना वाला कोई नहीं, लेने वाला ले गए अब लेने वाला कोई नहीं। बली जैसा देने वाला और वामनदेव जैसा लेना वाला अब कोई नहीं। बली ने तन, मन, और धन देकर सर्वत्र न्यौछावर होकर प्रभु को पा लिया। अगर ऐसा लेने वाला आ जाए तो देने में देर मत करना, न्यौछावर की बात करना। संकट में भगवान को मत छोडऩा, हम यह लगता है कि भगवान ने बुरा किया, थोड़ा समझने का फेर है। इस मन को एक बार समझा दो की बहुत बुरा नहीं करते थोड़ा बुरा हुआ, और कुछ भी हो सकता था।
इंटरनेट ने कई परिवारों और व्यक्तियों को तबाह कर दिया
पं. नागर ने कहा कि कथा भले कुछ दे न दे पर कथा व्यक्ति को सहने की शक्ति देती है व उसकी मौजूदा सहन शक्ति को बढ़ाती है। कथा में कई घटना प्रसंग ऐसे आते हैं, जो व्यक्ति को वक्त पर याद आ जाते हैं तो वह कई गलत कार्यो से बच जाता है। परिवार के नेटवर्क से जुड़े रहों इंटरनेट की बढ़ती महामारी पर प्रहार करते हुए पं. नाहर ने कहा कि व्यक्ति आज बड़े गर्व से कहता है कि हम इंटरनेट से जुड़े हुए। इंटरनेट से जुडऩे वाले पहले अपने बाल बच्चों, घर-परिवार से तो जुड़ो। यदि परिवार के नेटवर्क से जुड़े रहोंगे तो मान लेना हम सही इंटरनेट से जुड़ गए है। नहीं तो आज के इंटरनेट ने कई परिवारों और व्यक्तियों को तबाह कर दिया है। कथा का शहर से 2 किमी दूर ग्राम हरथली में वाचन प्रतिदिन दोपहर 12 से 3 बजे तक किया जा रहा है, इसका विश्राम 5 अप्रैल को होगा।
पं. नागर ने कहा कि कथा भले कुछ दे न दे पर कथा व्यक्ति को सहने की शक्ति देती है व उसकी मौजूदा सहन शक्ति को बढ़ाती है। कथा में कई घटना प्रसंग ऐसे आते हैं, जो व्यक्ति को वक्त पर याद आ जाते हैं तो वह कई गलत कार्यो से बच जाता है। परिवार के नेटवर्क से जुड़े रहों इंटरनेट की बढ़ती महामारी पर प्रहार करते हुए पं. नाहर ने कहा कि व्यक्ति आज बड़े गर्व से कहता है कि हम इंटरनेट से जुड़े हुए। इंटरनेट से जुडऩे वाले पहले अपने बाल बच्चों, घर-परिवार से तो जुड़ो। यदि परिवार के नेटवर्क से जुड़े रहोंगे तो मान लेना हम सही इंटरनेट से जुड़ गए है। नहीं तो आज के इंटरनेट ने कई परिवारों और व्यक्तियों को तबाह कर दिया है। कथा का शहर से 2 किमी दूर ग्राम हरथली में वाचन प्रतिदिन दोपहर 12 से 3 बजे तक किया जा रहा है, इसका विश्राम 5 अप्रैल को होगा।