scriptडाकिया तय करता है गांव में कितनी है महंगाई | The postman decides how much inflation is there in the village | Patrika News

डाकिया तय करता है गांव में कितनी है महंगाई

locationरतलामPublished: Aug 07, 2020 10:50:02 am

Submitted by:

Ashish Pathak

डाकिया भेजता था पीएमओ व नीति आयोग को महंगाई की जानकारी, पिछले कई वर्षो से जारी से जारी परंपरा हुई अब बंद।

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One more shock to govt on inflation front, WPI rate also increased

रतलाम. आपको अगर लगता है कि डाकिया सिर्फ डाक देने का कार्य करते है तो आपकी सोच गलत है। डाकिया देश में खाद्य वस्तुओं के मूल्य की सूचना भी देने का कार्य करता है। देश में महंगाई कितनी है, यह सूचकांक तय किस तरह से होता है, यह राज अब खुल गया है। असल में गांव में महंगाई के बारे में इसकी जानकारी लेने के लिए डाकियों की सहायता ली जाती है।
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जिले के धामनोद क्षेत्र का डाकिया कोई आम डाकिया नहीं था, वह पीएमओ व नीति आयोग को ग्रामीण क्षेत्रों की महंगाई के बारे में जानकारी भेजता था। आजादी के बाद से डाक विभाग से खाद्य वस्तुओं के मूल्य मंगवाने की परंपरा को कोरोना काल के बाद बंद कर दिया गया। हालांकि पिछले वर्ष अक्टूबर माह में यह जानकारी भेजी गई थी। अब इस कार्य को सांख्यिकी विभाग ने फिलहाल रोक रखा है। हालांकि रतलाम रेंज के मंदसौर व नीमच में यह परंपरा आज भी जारी है। इसमे बड़ी बात यह है कि पीएमओ व नीति आयोग को भेजी जाने वाली जानकारी इतनी गुप्त रहती है कि डाक विभाग के ही कई अधिकारियों को इस बारे में जानकारी नहीं रहती है।
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खाद्य वस्तुओं के दाम मंगवाती

असल में देश में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार डाकियों के माध्यम से अलग-अलग जिलों से हर माह खाद्य वस्तुओं के दाम मंगवाती है। इसमे प्रत्येक जिले को एक माह तय रहता है जब चयनीत सप्ताह में ग्रामीण क्षेत्र के बाजार से मूल्य लिया जाता है। रतलाम में धामनोद जिले का डाकिया इस कार्य को कई दशकों से करता रहा है। हालांकि कुछ समय पूर्व ही धामनोद में नए डाकिए की नियुक्ति हुई है।
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इन वस्तुओं की भेजते है सूचना
डाक विभाग के अनुसार दाल, आटा, जूते, चप्पल, कपड़े, वाहन के टायर, मोटर साइकल सहित कई वस्तुओं की सूचना 14 पेज के एक फॉर्म में भरकर भेजते है। पहले यह जानकारी बंद लिफाफे में भेजते थे, अब इसको नई तकनीक आने के बाद इमेल से भेजते है। चयनीत माह में पहले सप्ताह में यह जानकारी भेजी जाती है। इसकी एक कॉपी राज्य सरकार को भी भेजी जाती है।
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IMAGE CREDIT: Patrika
पिछले वर्ष भेजी थी जानकारी
पिछले वर्ष अक्टूबर माह में ग्रामीण क्षेत्र से खाद्य वस्तुओ सहित अन्य सामग्री की जानकारी भेजी गई थी। इसके बाद अब तक इसको लेकर आदेश नहीं मिले है।
– मो. इरफान, आईपीओ, मुख्य डाकघर
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