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ये है राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त बाबा नर्मदानंद महाराज, विवादों के दामन से नाता

locationरतलामPublished: Apr 06, 2018 01:35:41 pm

Submitted by:

sachin trivedi

ये है राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त बाबा नर्मदानंद महाराज, विवादों के दामन से नाता – कभी शासकीय भूमि पर कब्जा तो कभी समर्थकों में फूट डालने के लगे आरोप

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रतलाम। बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने पर मचा बवाल कम नहीं हो रहा है। रतलाम के नित्यानंद आश्रम से ताल्लुक रखने वाले बाबा नर्मदानंद का इतिहास भी विवादों के दामन से लिपटा है। बाबा का हर जिले में अलग पहचान पत्र है तो शासकीय भूमि पर कब्जा करने और समर्थकों को आपस में लड़वाने जैसे दाग भी बाबा के दामन पर लगे है। यही नहीं गुजरात के कुछ व्यापारियों से संबंध के चलते भी बाबा पर आरोप लगे है।
रतलाम जिले के धौंसवास में जन्म लेने वाले बाबा नर्मदानंद को सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा दिया है। नर्मदानंद रतलाम के नित्यानंद बाबा के संपर्क में आने के बाद आश्रम में रहने लगे थे। इसी आश्रम पर कब्जा करने के आरोप बाबा पर लगे चुके है, हालांकि समर्थकों की मौजूदगी में वे इससे इनकार कर चुके है। वहीं, चौंकाने वाली जानकारी यह है कि नर्मदानंद का खंडवा जिले के ग्राम बिल्लौर बुजुर्ग में राशनकार्ड बना है तो धार जिले से पेनकार्ड बनवा रखा है और रतलाम जिले की मतदाता सूची में नाम है। बाबा पर वर्ष २०१५ के दौरान अपने एक समर्थक से ही विवाद करने और रतलाम के डोंगरेनगर में तेजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट की जमीन व दुकानों पर कब्जा करने के आरोप भी लगे है। ७ जुलाई २०१५ को इसकी शिकायत भी हुई थी, यह आगे नहीं बढ़ पाई।

दो राज्यों में नित्यानंद आश्रम, रतलाम से दूरी बनाई
नित्यानंद ट्रस्ट श्रृंखला के मध्यप्रदेश एवं गुजरात में करीब १२ आश्रम है। इनमें से ११ आश्रम आपस में जुड़े है, जबकि रतलाम के आश्रम से सीधा संपर्क नहीं है। इसका बड़ा कारण नर्मदानंद का विवादों से नाता रहा है, कुछ हीरा व्यापारियों से बाबा की नजदीकी भी चर्चा में रही है। हालांकि समर्थक इसे बाबा नर्मदानंद के भक्तों के तौर पर लेते है। रतलाम से लगे धार जिले में भी नर्मदानंद का नित्यानंद आश्रम से विवाद चल रहा है। वे ज्यादातर समय ओंकारेश्वर में ही गुजराते है, यहां भी नित्यानंद ट्रस्ट का आश्रम है।

बाबा नर्मदानंद से मोबाइल ९४२५९२६०२२ पर संपर्क किया गया, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो पाए। समर्थकों ने बताया कि वे जबलपुर मेें एक घाट पर भक्तों के बीच है।
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