भक्त अशि£न शर्मा ने बताया कि दुर्गम यात्रा है, १९९९ से बाबा अमरनाथ की यात्रा करता आ रहा हूं, १७ बार यात्रा कर चुका हूं। इस साल में मणि महेश के दर्शन के लिए जाना है, पिछले साल भी मनसरोवर की यात्रा की थी। इस साल निलेश राव, विशाल बैरागी, शुभम जैन आदि १० साथी गए है, बाबा अमरनाथ की यात्रा पर जो वैष्णोदेवी के दर्शन कर यह आज श्रीनगर पहुंचने पर फेसबुक पर अपडेट हुए मुझसे, कल बालटाल पहुंचेंगे और परसो बाबा अमरनाथ की यात्रा पर निकलेंगे। हालात वहां के तनाव पूर्ण होने के साथ ही मौसम की मार है। इसलिए कई श्रद्धालु यात्रा नहीं करते हुए पुन: लोट आए है। १५ मिनट भी अगर पानी गिरता है तो रास्ते जाम हो जाते हैं।
राजकुमार गुर्जर, कनेरी ने बताया कि यह हमारी २०वीं यात्रा थी, बाबा अमरनाथ के १९ बार तो दर्शन कर आए। अब यात्रा दुर्गन हो गए, भक्त परेशान होते हैंं। इस साल दर्शन नहीं कर पाए। वहां के स्थानीय लोग आंतकवादियों का भी सपोर्ट करते है और बसों पर पत्थर फेंकने के साथ ही जगह-जगह पत्थर, पेड़ों से रास्ता जाम कर देते हैं। फिर भी अगर रक्षाबंधन तक स्थिति सही हो गई तो दर्शन के लिए जाएंगे। १६ जून को यात्रा शुरू की थी, १७ को हरिद्वार पहुंच गए थे तो समाचार मिले इस साल सरकार गिर जाने के कारण अधिक उत्पाद मचाने की स्थिति दिख रही थी, इसलिए वापस आ गए। बाढ़ की स्थिति भी बनी हुई है, कई यात्रा फंसे हुए थे। इस बार इसलिए भी मन नहीं किया। पिछले साल भी गुजरात की बस पर हमला हुआ तब केवल हमारा डेढ़ घंटे का फासला था। फिर भी हमें पत्थर मारे उस स्थिति में भी दर्शन करते हम आए। जेसीबी से उखाड़कर पत्थर सड़कों पर डाल दिए थे, ताकि यात्री परेशान हो और हम उन पर हमला करे। हम पिछलेे साल भी रात में निकलकर आए थे।
हरमाला रोड निवासी वासुदेव पाटीदार का कहना है कि २००० से जा रहे हैं, इस बार यात्रा नहीं कर पाए, हमारा जाने था, लेकिन केदारनाथ जाकर हम अमरनाथ जाने वाले थे, लेकिन स्थिति अपने पक्ष में नहीं थी इसलिए वापस आ गए। पिछले साल भी जमकर हमारी बसों पर पत्थरबाजी हुई थी और हमे लगी थी। बाबा की इच्छा नहीं थी दर्शन देने की लेकिन यात्रा जारी रहेगी। चार-पांच साल पहले यात्रा के दौरान लालचौक हमला हमारी आंखों के सामने हुआ, एक बार हनुमानजी के मंदिर में सोये रहे और ऊपर रात भर गोली चलती रही, फिर भी दर्शन किए। इस बार तो अति हो गई है। १२ दिन में यात्रा करके वापस आए, इस दौरान हरिद्वार, गंगोत्री, यमनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि के दर्शन अच्छे से किए, लेकिन मलाल रहेगा की बाबा अमरनाथ के दर्शन नहीं कर पाए। जम्मू में जाते ही लगता है कि हम हिन्दूस्तान से बाहर आ गए।