scriptऐसा उड़ा क्षुल्लक तरुणसागर का दुपट्टा की गुरु बोले- अब आप दुपट्टा त्याग ही दीजिए… | This kind of blown-out Tarunasagar dupatta's master said - now you mus | Patrika News

ऐसा उड़ा क्षुल्लक तरुणसागर का दुपट्टा की गुरु बोले- अब आप दुपट्टा त्याग ही दीजिए…

locationरतलामPublished: Jun 15, 2020 09:03:23 pm

Submitted by:

sachin trivedi

तरुण संवाद 15वां दिन: पुष्पगिरी तीर्थ पर क्षुल्लक पर्वसागर ने सुनाया क्षुल्लक तरुणसागर की मुनि दीक्षा का दृष्टांत

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सोनकच्छ. समाधिस्थ जैन आचार्य तरुण सागरजी के 53वें तरुण अवतरण महोत्सव (जन्म जयंती) के 26 दिवसीय तरुण जीवन संवाद कार्यक्रम के 15वें दिन क्षुल्लक पर्व सागर ने सोमवार को तरुणसागर के जीवन पर संवाद करते हुए संपूर्ण जीवन दर्शन का बखान करते हुए क्षुल्लक जीवन अनेक आयामों से रूबरू करवाते हुए संत संग का पद करते हुए आचार्यश्री पुष्पदंत सागर के जन्म स्थान महाराष्ट्र के गोंदिया पहुंचना हुआ। 1984 की बात है। गोंदिया में पहुंचे 2 दिन हुए कि सुबह के आहार के समय की बात है संघ आहार को निकलने वाला था कि क्षुल्लक तरुणसागर आहार के लिए शुद्धि को गए कि तेज हवा का झोंका इस तरह आया कि क्षुल्लकजी का दुपट्टा उड़ गया और उड़ा इस कदर की पकडऩे की कोई उम्मीद ही न रही। क्षुल्लक तरुणसागर बिना दुपट्टे के गुरुजी के पास आए और सारा वृत्तांत सुनाया गुरुजी ने कहा कि अब आप दुपट्टा लेने की बजाय दुपट्टा त्याग दीजिए। आज से आप क्षुल्लक नहीं एलक तरुण सागर हैं। इस प्रकार प्राकृतिक निमित्त से वे एलक हो गए। संघ मध्यप्रदेश में काफी समय से था और सूत्रों से ज्ञात हुआ कि राजस्थान के बागड़ क्षेत्र में संतों का मुनियों का कभी होता नहीं है। समाज में भी उसके प्रति जागरूकता नहीं है, सो वहां जाकर संतों और धर्म के प्रति जागरूकता लानी होगी। इसलिए आचार्य पुष्पदंत मध्यप्रदेश से राजस्थान की ओर प्रस्थान कर गए और पहुंचकर एक स्वस्थ परंपरा की शुरुआत कर दी। तब से अब तक वह बागड़ क्षेत्र परम् गुरु मुनि भक्त हो गया। राजस्थान के बागड़ क्षेत्र के बांसवाड़ा जिले के बागीदौरा नगर में रूके। साथ ही चातुर्मास का समय नजदीक था सो समाज के निवेदन पर राजस्थान का पहला चातुर्मास बागड़ क्षेत्र में किया जो जैन धर्म के इतिहास में अंकित हो गया।

20 जुलाई 1988 को हुई मुनि दीक्षा…
बागीदौरा चातुर्मास एक महती धर्म प्रभवना के साथ हुआ। एलक तरुणसागरजी भी सामूहिक श्रावक प्रतिक्रमण का एक नया प्रयोग आरंभ कर युवाओं में संस्कार और धर्म के प्रति जागरूकता की नई क्रांति कर रहे थे। जो बच्चे घर से बाहर नहीं निकलते थे वे आज घर-घर से निकलकर 5 बजे के कार्यक्रम में 4 बजे से अपना स्थान लेकर अपनी जागृति का अहम संदेश दे रहे थे। गुरु पुष्पदंत सागर यह युवा क्रांति को देखकर आश्चर्य से तरुण की क्रांति को और उनके भविष्य के तरुण सागर को पहचान चुके थे। सो गुरु के मन की बात तरुणसागर तो पड़ ही चुके थे। साथ साथ समाज को भी इस बात का आभास हो चुका था तो मौका देखकर बागीदौरा समाज गुरु पुष्पदंत के पास गई और प्रेम भरे अंदाज में बोली कि भगवन आप एलक तरुणसागरजी को मुनि बनाने वाले हंै तो यह अवसर हम बागीदौरा वालों को मिल जाए तो यहां की माटी पावन हो जाएगी। समाज का निवेदन, एलक तरुणसागर की योग्यता और गुरु की मुनि बनाने की मन की तैयारी इन तीनों का समावेश हो गया तो गुरु ने आज्ञा दी कि राजस्थान के बागड़ के इतिहास का एक नव अध्याय लिखा जाएगा मतलब आगामी 20 जुलाई को एलक तरुणसागर को मुनि तरुणसागर का रूप दिया जाएगा। अब वे मुनि बनेंगे। उनको मुनि दीक्षा दी जाएगी। देखते ही देखते बालक पवन पूर्ण जैन संन्यासी दिगंबर मुनि बन गए। दीक्षा कार्यक्रम में मध्यप्रदेश और राजस्थान के हजारों लोग सम्मिलित हुए। और भी बहुत कुछ घटा मुनि दीक्षा के समय। आगे की घटना आगे के संवाद में बताउंगा। सवाल जबाब की प्रतियोगिता में सवाल किया कि समाधिस्थ आचार्य तरुण सागरजी पूर्ण जैन संन्यास की तिथि और स्थान क्या था।
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