बागीदौरा चातुर्मास एक महती धर्म प्रभवना के साथ हुआ। एलक तरुणसागरजी भी सामूहिक श्रावक प्रतिक्रमण का एक नया प्रयोग आरंभ कर युवाओं में संस्कार और धर्म के प्रति जागरूकता की नई क्रांति कर रहे थे। जो बच्चे घर से बाहर नहीं निकलते थे वे आज घर-घर से निकलकर 5 बजे के कार्यक्रम में 4 बजे से अपना स्थान लेकर अपनी जागृति का अहम संदेश दे रहे थे। गुरु पुष्पदंत सागर यह युवा क्रांति को देखकर आश्चर्य से तरुण की क्रांति को और उनके भविष्य के तरुण सागर को पहचान चुके थे। सो गुरु के मन की बात तरुणसागर तो पड़ ही चुके थे। साथ साथ समाज को भी इस बात का आभास हो चुका था तो मौका देखकर बागीदौरा समाज गुरु पुष्पदंत के पास गई और प्रेम भरे अंदाज में बोली कि भगवन आप एलक तरुणसागरजी को मुनि बनाने वाले हंै तो यह अवसर हम बागीदौरा वालों को मिल जाए तो यहां की माटी पावन हो जाएगी। समाज का निवेदन, एलक तरुणसागर की योग्यता और गुरु की मुनि बनाने की मन की तैयारी इन तीनों का समावेश हो गया तो गुरु ने आज्ञा दी कि राजस्थान के बागड़ के इतिहास का एक नव अध्याय लिखा जाएगा मतलब आगामी 20 जुलाई को एलक तरुणसागर को मुनि तरुणसागर का रूप दिया जाएगा। अब वे मुनि बनेंगे। उनको मुनि दीक्षा दी जाएगी। देखते ही देखते बालक पवन पूर्ण जैन संन्यासी दिगंबर मुनि बन गए। दीक्षा कार्यक्रम में मध्यप्रदेश और राजस्थान के हजारों लोग सम्मिलित हुए। और भी बहुत कुछ घटा मुनि दीक्षा के समय। आगे की घटना आगे के संवाद में बताउंगा। सवाल जबाब की प्रतियोगिता में सवाल किया कि समाधिस्थ आचार्य तरुण सागरजी पूर्ण जैन संन्यास की तिथि और स्थान क्या था।
देेंखे, पत्रिका देवास फेसबुक पेज पर लाइव आरती
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