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भाजपा और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्षों के क्षेत्र में रंग दिखाएगी यह यात्रा

locationरतलामPublished: Oct 11, 2018 02:55:39 pm

Submitted by:

sachin trivedi

भाजपा और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्षों के क्षेत्र में रंग दिखाएगी यह यात्रा

patrika

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रतलाम. मध्य प्रदेश जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के बैनर तले संविधान सम्मान यात्रा आज नर्मदा घाटी पहुंची। यात्रा की शुरुआत 2 अक्टूबर को दांडी गुजरात से की गई। गांधी द्वारा अंग्रेजों के बनाये गए दमनकारी कानून को तोड़ते हुए दांडी से नमक सत्याग्रह शुरू किया गया। उसी प्रकार विभिन्न जन आंदोलनों द्वारा संविधान पर हो रहे हमले को बचाने के लिए लोगों के बीच जाकर संविधान सम्मान के अभियान को चलाने की आवश्यकता महसूस हुई और गांधी के जन्म के 150 साल पूरे होने पर दांडी इसकी शुरुआत के लिए प्रासंगिक स्थान था इसलिए यात्रा की शुरुआत वहीं से की गई। कल यात्रा जबलपुर, चुटका, सिवनीं, छिड़वाड़ा जाएगी। संविधान सम्मान यात्रा में सभी सभा, रैलियों में संविधान की प्रस्तावना पढ़कर इसमें निहित मूल्यों का पालन करने का संकल्प लिया जा रहा है।
तीन दिन गुजरात में रहकर वहां के किसानों, मजदूरों, महिलाओं, विस्थापितों के संघर्षों को समर्थन देते हुए यात्रा राजस्थान गयी और वहां भी खनन, महिला हिंसा, भीड़तंत्र द्वारा हाशिये पर खड़े लोगों की हत्या, भूख से मौत, मानव तस्करी जैसी कई समस्याओं से अवगत होते हुए 8 अक्टूबर को बासागुड़ा मंदसौर पहुंची। पिछले साल मंदसौर में पुलिस गोलीचालन में मारे गए 6 किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए यात्रा अंबोदिया और भीम राव अम्बेडकर की जन्मस्थली महू होते हुए कल पीथमपुर पहुंची जहां संविधान सम्मान यात्रा में 15 राज्यों से आये प्रतिनिधियों ने समर्थन दिया। संविधान सम्मान यात्रा के 9वें दिन यात्री राजघाट जहां से पिछले साल प्रशासन द्वारा जबरन गांधीजी की समाधि उखाड़ दी गयी थी। सभी यात्री राजघाट के पुनर्वास स्थल भी गए जहां गांव वालों ने मूल गांव से हटाई गई समाधि को स्थापित किया है। प्रार्थना और गीतों के साथ गांधी के सपनों का भारत बनाने का संकल्प लेकर यात्रा आगे बढ़ी।
चिखल्दा में आज की सभा भी की गई

पिछले साल सितंबर में 12 दिनों के उपवास पर जिस गांव में लोग बैठे थे और पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गएए उसी जगह चिखल्दा में आज की सभा भी की गई। सभा में ओडिशाए बिहार, उत्तराखंड, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड और देश के अन्य हिस्सों से आये लोगों ने नर्मदा घाटी के किसान, मछुवारों, विस्थापितों, दलित, आदिवासियों के सामने यात्रा का उद्देश्य रखा और घाटी वासियों द्वारा सभी यात्रियों का स्वागत किया गया। माटू जनसंगठन, उत्तराखंड से आये विमल भाई ने संविधान में निहित जीने का अधिकार, असहमति का अधिकार, नफरत और धर्म की राजनीति को खारिज करने का अधिकार, रहन-सहन, खान-पान के अधिकार पर जोर देते हुए इसकी अहमियत बताई। विद्रोही सांस्कृतिक समूह, महाराष्ट्र के संजय नजऱे ने कहा कि 33 सालों से चल रहा नर्मदा बचाओ आंदोलन प्राकृतिक संसाधनों, पर्यावरण, विस्थापान के खिलाफ और रोजगार को संरक्षित करने वाला ऐतिहासिक आंदोलन रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों का शोषण करते आ रही है जिसको हमें रोकना होगा और संविधान को इनसे बचाना होगा।
महिलाओं की भूमिका का महत्वपूर्ण स्थान

मेधा पाटकर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार में ग्राम सभा के नियोजन और महिलाओं की भूमिका का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा कि गाय की रक्षा करने वाले राजनेता न गौमाता की चिंता करते हैं ना ही नर्मदा की। जिस प्रकार से नर्मदा नदी पर खनन और जानवरों के मरने से प्रदूषण बढ़ रहे हैं, यह इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। गंगा से नर्मदा की लड़ाई एक समान बताते हुए उन्होंने गंगा नदी पर उपवास पर बैठे जीडी अग्रवाल का समर्थन किया। उन्होंने कहा किसानों की ये स्थिति है कि अपनी मांगों जैसे ऋणमुक्ति, फसल का उचित दाम, सामाजिक सुरक्षा और न्यूनतम आय गारंटी के लिए वे लगातार मोर्चे और धरने निकाल रहे हैं, इसके बाद भी प्रशासन मौन है। आम सभा के बाद यात्रा ने इंदौर के लिए प्रस्थान किया जहां प्रेस वार्ता में मीडिया को संविधान सम्मान यात्रा से अवगत कराया गया।

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