यह पहली बार है जब ठंड के दिनों में टमाटर 10 से 15 रुपए किलो के बजाय 60 से 80 रुपए में बिक रहा है। थोक कारोबारियों और किसानों के मुताबिक इस साल सितंबर-अक्टूबर महीने तक हुई। इसके बाद नवंबर में बारिश की वजह से टमाटर सहित सब्जियों की फसल तबाह हो गई, जिसकी वजह से सब्जियों की कीमतों में आग लगी हुई है। सब्जी के साथ – साथ टमाटर के दाम भी बढ़ गए है। शहर के सब्जी मंडी में टमाटर थोक में ही 55 से 70 रुपए किलो बिक रहा है, वहीं चिल्हर आते तक यह कीमतें अलग-अलग स्थानों में 60, 70 और 80 रुपए में तक हो रही हैं। डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम होने की वजह से सब्जियों की कीमतों में अस्थिरता आ चुकी है। टमाटर के अलावा बाकी सब्जियों की कीमतों में भी इसी तरह का अंतर देखा जा रहा है। बीते वर्ष के मुकाबले सब्जियों की कीमतों में दो से तीन गुना महंगाई आ चुकी है।
सब्जी-थोक के दाम – उपभोक्ताओं के दाम
टमाटर- 55 से 70 – 60-80
गोभी-20 से 30- 50-60
करेला-25 से 30 – 50-60
परवल-25 से 30-50
मिर्च- 10 से 15 – 30-40
टमाटर- 55 से 70 – 60-80
गोभी-20 से 30- 50-60
करेला-25 से 30 – 50-60
परवल-25 से 30-50
मिर्च- 10 से 15 – 30-40
बंद गोभी-10 से 15 – 25-30
शिमला मिर्च – 15 से 20 – 40-50
आलू- 12 से 15 -20 -25
प्याज-15 से 18 – 25 – 30
नोट- कीमतें सब्जी मंडी के कारोबारियों से मिली जानकारी के मुताबिक
दो माह बाद राहत की उम्मीद
थोक सब्जी कारोबारियों का कहना है कि नई फसल के लिए लोगों को जनवरी-फरवरी तक इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि नई फसल 15 अक्टूबर के आस-पास लगाई गई है, जिसे तैयार होने में कम से कम दो से तीन महीने का समय लगेगा। शादियों के सीजन के साथ होटल, रेस्टोरेंट के खुलने के बाद मांग बढ़ती जा रही है।
थोक सब्जी कारोबारियों का कहना है कि नई फसल के लिए लोगों को जनवरी-फरवरी तक इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि नई फसल 15 अक्टूबर के आस-पास लगाई गई है, जिसे तैयार होने में कम से कम दो से तीन महीने का समय लगेगा। शादियों के सीजन के साथ होटल, रेस्टोरेंट के खुलने के बाद मांग बढ़ती जा रही है।
उत्पादक किसान श्रवण पाटीदार ने बताया कि दूसरे राज्यों में टमाटर की ज्यादा कीमत मिल रही है, लिहाजा कई बड़े किसान पंजाब, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, पं. बंगाल आदि राज्यों के कारोबारियों को सीधे टमाटर भेज रहे हैं। बारिश की वजह से फसल तो बर्बाद हुई, लेकिन जो फसलें बची, उसे दूसरे राज्यों से ज्यादा मुनाफा मिलने की वजह से भेजा जा रहा है।
सिर्फ टमाटर ही नहीं, अन्य सब्जियों के दाम भी बढ़े हुए है। इनके दाम कम होने में समय लगेगा। टमाटर के दाम स्थानीय स्तर के बजाए बाहर भेजने पर अधिक मिल रहे है।
– शिवशंकर पाटीदार, कृषक