दरअसल गुरुवार शुक्रवार की दरम्यिानी रात कोर्ट रूम का दृश्य किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था, लेकिन ये किसी फिल्म की रील नहीं बल्कि हकीकत थी। फिल्मी पर्दे पर रात में कोर्ट लगते और कोर्ट में धरना प्रदर्शन होते तो दर्शकों ने फिल्म जॉली-एलएलबी में देखी है, लेकिन रियल लाइफ में ऐसे दृश्य नजर नहीं आते। गुरुवार को शाम ४ से शुक्रवार दोपहर एक बजे तक कोर्ट में हंगामा चलता रहा। अभिभाषक छात्रा से गैंगरेप के आरोपियों को सीधे जेल भेजने पर असंतोष जताकर धरने पर बैठ गए। इस दौरान दो जज भी अभिभाषकों से चर्चा के लिए पहुुंचे, लेकिन धरना समाप्त नहीं हुआ। रात को अभिभाषकों के साथ भाजपा के पदाधिकारी और सहायक संगठनों के प्रतिनिधि भी धरने मेंं शामिल हो गए। इसी बीच प्रभारी नजारत ने जिला अभिभाषक संघ अध्यक्ष के नाम पत्र भेजकर अविलम्ब कोर्ट परिसर को खाली करने के लिए कहा है। पत्र में लिखा है कि यदि कुछ कुछ अनहोनी हुई तो इसके जवाबदेह वकील होंगे। हालांकि इस पत्र का वकीलों पर कोई असर नहीं हुआ, उन्होंने रात में पत्र का जवाब टाइप करवाया और रात्रि १२.३० बजे जवाब दाखिल किया गया। जिसमें वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन और हक के लिए प्रदर्शन को उचित ठहराते हुए बिन्दुवार जवाब दिया।
नाबालिग छात्रा से गैंगरैप के मामले में पाक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार तीनों आरोपियों शकील, आबिद और इमरान का पुलिस रिमांड नहीं मांगा, इसके चलते कोर्ट ने तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया। आरोपियों को जेल भेजने की जानकारी जैसे ही कोर्ट परिसर में मौजूद वकीलों को लगी तो वे आक्रोशित हो गए और जिला अभियोजन अधिकारी अनिल बादल के कक्ष में पहुंच हंगामा खड़़ा कर दिया। इसके बाद सारे वकील पाक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश साबिर अहमद खान के कोर्ट रूम में पहुंच गए और वकीलों ने न्यायाधीश से चर्चा की। इसके बाद भी बात नहीं बनी तो वकील उसी कोर्ट रूम में ही धरने पर बैठ गए । इस कुछ देर बाद जज कोर्ट रूम छोड़कर चले गए। मामले की तुरंत सुनवाई की मांग को लेकर देर रात तक वकील धरना देते रहे, शुक्रवार को सुनवाई हुई उसके बाद कोर्ट ने आरोपियों को रिमांड पर भेजने का आदेश दिया। इसके बाद धरना समाप्त किया गया।