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कमलनाथ सरकार ने जलसंकट से खींचे हाथ: निजी ट्यूबवेलों पर पड़ी प्रशासन की नजर

कमलनाथ सरकार ने जलसंकट से खींचे हाथ: निजी ट्यूबवेलों पर पड़ी प्रशासन की नजर

रतलामApr 19, 2019 / 05:44 pm

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कमलनाथ सरकार ने जलसंकट से खींचे हाथ: निजी ट्यूबवेलों पर पड़ी प्रशासन की नजर

रतलाम। भीषण गर्मी ने अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिए हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की किल्लत सामने आने लगी है लेकिन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) का आकलन कहता है कि अभी किसी भी गांव में पेयजल परिवहन करने जैसी स्थिति नहीं है। आधी गर्मी बीत चुकी है और अब यदि गांवों में पेयजल संकट की स्थिति बनती है तो विभाग ने गांवों में पेयजल योग्य निजी ट्यूबवेल और कुओं से यह व्यवस्था करेगा। इनकी पूरी सूची तैयार कर ली है। गांव में जहां जैसी जरुरत होगी वैसे इनका अधिगृहण कर ग्रामीणों की प्यास बुझाई जाएगी। फिलहाल जिले के चार गांवों में तीन ट्यूबवेल और एक कुएं का विभाग ने अधिगृहित कर लिया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री केपी वर्मा बताते हैं कि इस साल बारिश कम हुई है फिर भी अभी पेयजल परिवहन जैसी स्थिति नहीं है।

शासन ने राशि देने से कर दिया है हाथ खड़े
किसानों की कर्जमाफी और समर्थन मूल्य पर उपज खरीदी में दिए जाने वाले बोनस ने शासकीय खजाने की हालत खराब कर दी है। ऐसे में भोपाल में बैठे कर्ताधर्ताओं ने ऐसी किसी मद में राशि देने से साफ इनकार कर दिया है। रतलाम नगर निगम सहित प्रदेश की नगरीय निकायों को भी पेयजल परिवहन के लिए राशि देने से मना किया जा चुका है। कुछ ऐसी ही स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल परिवहन को लेकर भी सामने आई है। हालांकि अधिकारी इस बात की पुष्टि करने से बच रहे हैं।

लगातार बंद होते जा रहे हैं ट्यूबवेल
पीएचई द्वारा गांवों में स्थापित हैंडपंपों के बंद होने का क्रम चल रहा है। भूजलस्तर नीचे जाने से बंद हो रहे हैंडपंपों की संख्या इस समय ढाई हजार से ज्यादा पहुंच चुकी है जो कुल हैंडपंपों का २५ फीसदी से ज्यादा होता है। कुछ ऐसी ही स्थिति नलजल योजनाओं की भी है। ३१० योजनाओं में से २३ फिलहाल पेयजल स्रोतों में पानी की कमी से बंद हो गई है। गर्मी में भूजलस्तर काफी नीचे चला जाता है और इसी वजह से गांवों में हैंडपंप, ट्यूबवेल और नलजल योजनाएं बंद हो जाती है।

अधिगृहण के लिए सूची तैयार
गांवों में ट्यूबवेल और कुओं से जिनमें लगातार पानी गर्मी में भी मिलता है उनकी सूची विभाग ने तैयार की है। गांवों में सभी सरकारी पेयजल स्रोत सूख जाने की स्थिति में इन ट्यूबवेलों को अधिगृहित करके पानी की उपलब्धता सुनिशिचत की जाएगी। ऐसे कुओं और ट्यूबवेलों की संख्या जिले में ३६९ है। फिलहाल चार गांवों में रतलाम जिले के पलास के एक मजरे में, इटावा माताजी, नायन और आलोट विकासखंड के नेगरुन में तीन ट्यूबवेल और एक कुएं को अधिगृहित हो चुका है।

फैक्ट फाइल
पंचायतें – ४१८

गांवों की संख्या – १०५०
बसाहटों की संख्या – १६४४

कुल हैंडपंप – ९९४९
चालू हैंडपंप – ७४१५

बंद हैंडपंप – २५३४
नलजल योजना – ३१०

चालू – २८७
बंद – २३

गांवों में घरों के निजी ट्यूबवेल – २२३७
गांवों में सार्वजनिक ट्यूबवेल – ५९७

अधिगृहण किए जाने योग्य निजी ट्यूबवेल – ३६९
गांवों में निजी नलकूप – ६०३६

खेतों में लगे नलकूप – ६१८०
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परिवहन की जरुरत नहीं है अभी कहीं
गांवों में इस समय पेयजल परिवहन की कहीं भी स्थिति दिखाई नहीं दे रही है। इसके बावजूद हमने निजी नलकूपों और कुओं का सर्वे कर लिया है जो गर्मी में भी पानी देते हैं। जहां गांव में पानी का ज्यादा संकट होगा और सार्वजनिक ट्यूबवेल बंद हो जाएंगे वहां निजी ट्यूबवेलों का ग्रामीणों की सहमति से अधिगृहण करके पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

केपी वर्मा, कार्यपालन यंत्री पीएचई

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