करोड़ो रूपये की यूआईडीएसएसएमटी योजना में दावा किया गया था की इससे पेयजलापूर्ति की क्षमता 1 करोड़ गेलन होने से शहरवासियों को पानी की किल्लत से राहत मिलेगी। वही नगर निगम शहरवासियों को प्रतिदिन जलापूर्ति के साथ ही उद्योगों व रेलवे को भी पानी देने में सक्षम हो जाएगा। इसके साथ ही यह भी दावा किया गया था की धोलावड़ से रतलाम तक बिछाई गई 19.7 किमी मुख्य पाइप लाइन में डीआईके-9 पाइप का उपयोग किया गया है। इस पाइप को तोडऩा या इसमें छेद करना आसान नहीं होता। मेटल के आधुनिक पाइप में सुरक्षा को तवज्जों दी गई है। लीकेज से व्यर्थ बहने वाले पानी पर भी इससे रोक लगेगी। हकीकत यह है कि आए दिन या तो पाइप लाइन लीकेज हो रही है या टूट रही है।
यह भी रहा दावा नगर निगम ने कई दावे किए थे। इनमे मोरवानी में नया फिल्टर प्लांट भी बनाया गया है। यहां प्रतिदिन जलापूर्ति के पहले करीब 50 लाख गैलन पानी को मानक स्तर पर शु्द्द किया जाएगा। दो प्लांट व दो पाइप लाइन होने से किसी एक के खराब होने पर दूसरे का उपयोग किया जाएगा। इससे जलसंकट की स्थिति नहीं बनेगी।
वाल्व भी बेहतर तकनीक के पाइप लाइन के घुमावदार हिस्सों पर लगाए गए वाल्व भी बेहतर तकनीक के हैं। इससे किसी भी स्थान पर पानी चोरी की संभावनाएं न के बराबर रहेगी। लेकिन इस योजना में किये गए सारे दावे अब खोखले नजर आ रहे हैं, न तो शहरवासियों को प्रतिदिन पेयजल मिल रहा है, और जो मिल रहा है, वह भी अनियमित समय पर अशुद्ध और मटमैला है। पानी की चोरी और लीकेज लीकेज रुकने के दावे भी अब हवा हवाई की तरह नजर आ रहे हैं।
भुगतान पूरा, पानी दस दिन भी नहीं शहर में देखा जाए तो प्रतिमाह समय पर घरेलू कनेक्शन में १५० रुपए की पेजयल राशि का भुगतान करने वाले शहर के आम उपभोक्ता को करोड़ो की योजना के लोकार्पण के 7 साल बाद भी समय पर शुद्ध जल के लिए तरसते हुए जलसंकट का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि पूरे माह का शुल्क लेकर १५ दिन पेयजल देने वाली नगर निगम अब पूरे माह १० दिन ही पेयजल दे पा रही है। ऐसे में आमजन को परेशानी हो रही है व निजी स्त्रौत पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
जवादबार मौन है शहर में पेयजल का गंभीर संकट है। मात्र दस दिन पेयजल उपलब्ध हो पा रहा है। गंभीर बात यह है कि जिनकी जवाबदारी है, वे मौन है। आमजन त्रस्त हो गई है।
- अनिल कटारिया, पूर्व जिला संयोजक आईटी सेल भाजपा संसाधन बदल रहे है धोलावाड़ से लेकर मोरवानी तक जो संसाधन पुराने हो गए है, उनको बदला जा रहा है। इसके लिए कुछ टेंडर निकाले गए है, जबकि अन्य की तैयारी जारी है।
- सोमनाथ झारिया, आयुक्त नगर निगम