सहायक सिस्टम के जरिए भी हो सकती है मानसूनी बारिश
बंगाल की खाड़ी का कम दबाव क्षेत्र ज्यादा ताकतवर माना जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश के लिए एक राहत ये भी है कि दक्षिणी उड़ीसा के समुद्र तट पर भी नया सिस्टम बन सकता है, इसकी संभावना भी बन रही है और ऐसा होने पर मानसूनी बारिश का दौर मध्यप्रदेश में इस सिस्टम से भी शुरू हो सकता है, लेकिन यह करीब दो से तीन दिन का वक्त लेगा। इस अवधि में प्रदेश में बादलों की आवाजाही तो होगी, लेकिन बारिश की संभावना कम है। हालांकि हवाओं में नमी के कारण रात का तापमान कम ही रहेगा।
बंगाल की खाड़ी का कम दबाव क्षेत्र ज्यादा ताकतवर माना जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश के लिए एक राहत ये भी है कि दक्षिणी उड़ीसा के समुद्र तट पर भी नया सिस्टम बन सकता है, इसकी संभावना भी बन रही है और ऐसा होने पर मानसूनी बारिश का दौर मध्यप्रदेश में इस सिस्टम से भी शुरू हो सकता है, लेकिन यह करीब दो से तीन दिन का वक्त लेगा। इस अवधि में प्रदेश में बादलों की आवाजाही तो होगी, लेकिन बारिश की संभावना कम है। हालांकि हवाओं में नमी के कारण रात का तापमान कम ही रहेगा।
जोरदार आगाज के बाद मानसून की रफ्तार ने तोड़ दी उम्मीद
मध्यप्रदेश में जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह के बीच बरसे मानसून ने प्रमुख नदियों नर्मदा, माही, शिवना, शिप्रा, चंबल और सहायक नदियों का जल स्तर बढ़ा दिया था, इससे कई जिलों में गर्मियों के दौरान छाया जलसंकट भी कम हो गया है, लेकिन अब 10 से 12 दिनों के बाद नदियों का जल स्तर फिर सामान्य से कम हो गया है, बड़े जलाशयों के खुले गेट से बहता पानी सीधे नदियों की ओर नहीं जा रहा है। उज्जैन और इंदौर संभाग में तो कई निकाय फिर से जल संकट झेलने दिख रहे है।
मध्यप्रदेश में जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह के बीच बरसे मानसून ने प्रमुख नदियों नर्मदा, माही, शिवना, शिप्रा, चंबल और सहायक नदियों का जल स्तर बढ़ा दिया था, इससे कई जिलों में गर्मियों के दौरान छाया जलसंकट भी कम हो गया है, लेकिन अब 10 से 12 दिनों के बाद नदियों का जल स्तर फिर सामान्य से कम हो गया है, बड़े जलाशयों के खुले गेट से बहता पानी सीधे नदियों की ओर नहीं जा रहा है। उज्जैन और इंदौर संभाग में तो कई निकाय फिर से जल संकट झेलने दिख रहे है।