जिले में मानसून की बारिश की शुरुआत हो गई है। जिले में सबसे अधिक बारिश 2019-2020 में दर्ज की गई थी, जबकि सबसे कम बारिश इन दस सालों में 2014-2015 में दर्ज की गई। मौसम से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार मानसून झमाझम होगा। इन दिनों पश्चिम का जो विक्षोभ है, उसके चलते बारिश हो रही है, हकीकत में बेहतर मानसून की शुरुआत 20 जून के बाद होगी।
प्रकृति में बदलाव से हो रहा असर मौसम विशेषज्ञों की माने तो रतलाम, मंदसौर व नीमच में मानसून पर सबसे बड़ा असर प्रकृति में हुए बदलाव से आया है। राजस्थान से सटे नीमच के उत्तर - पश्चिम क्षेत्र में तो बेहतर बारिश होती है, जबकि शेष जिले में कम बारिश होती है। इसी तरह की स्थिति रतलाम में है। यहां सैलाना - बाजना में बेहतर बारिश होती है, लेकिन शेष जिले में बारिश का ग्राफ कम रहता है। इसकी वजह प्रकृति के तालमेल की कमी बताई जा रही है।
देरी से आया था, सबसे कम हुई थी जिले में दस सालों में देरी से मानसून 2014-2015 में आया था। जब लोगों को मंदिर में ढोल - नगाड़े बजाए गए थे। मालवा में मान्यता है कि बारिश या मानसून की शुरुआत नहीं हो तो ढोल बजाकर बारिश करवाई जाती है। तब उस साल पहली बारिश जुलाई के दूसरे पखवाड़े में हुई थी।
अतिवृष्टि बनी खतरनाक जिले में 2019-2020 में सबसे अधिक बारिश हुई थी। इस साल जून के दूसरे सप्ताह से बारिश की जो शुरुआत हुई थी तो दिसंबर माह तक बारिश का दौर चलता रहा था। खेत में पानी भरने से लेकर जर्जर आवास गिरने की घटना, घरों में पानी भरने की समस्या, रोड पानी के निकासी की व्यवस्था नहीं होने से भरे रहने की घटनाएं हुई थी।
फैक्ट फाइल वर्ष - मिमी में बारिश 2011 - 12 - 1176.7 2012 - 13 - 981.00 2013 - 14 - 1255.03 2014 - 15 - 584.06 2015 - 16 - 1097.01
2016 - 17 - 1244.04 2017 - 18 - 962.01 2018 - 19 - 916.03 2019 - 20 - 1750.04 2020 - 21 - 1087.04 बेहतर बारिश के लिए जरूरी पर्यावरण की चिंता
पूर्व के समय में मानसून समय पर आता था, अब पश्चिम मध्यप्रदेश के रतलाम, मंदसौर, नीमच व उज्जैन में मानसून राजस्थान में बनने वाले विक्षोप पर निर्भर है। इन जिलों के कुछ क्षेत्र में पेयजल के अतिदोहन व पौधरोपण में कमी के चलते मानसून गड़बड़ाया है, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि मानसून समय पर आया है व बेहतर बारिश होगी।
- वेदप्रकाश, मौसम वैज्ञानिक, भोपाल 
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