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कहीं दो तो कहीं पांच बच्चे मिले निरीक्षण में

locationरतलामPublished: Apr 21, 2018 12:31:57 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

दो शिक्षिकाएं पदस्थ, एक मेडिकल पर तो दूसरी अपने खुद ही अवकाश लेकर चली गई, स्कूल में आए तीन बच्चे बैठे रहे

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रतलाम। अप्रैल से नया शिक्षा सत्र शुरू तो कर दिया गया किंतु स्कूलों में बच्चे ही नहीं पहुंच रहे हैं। कहीं-कहीं तो हालात यह है कि स्कूल में शिक्षिक-शिक्षिकाओं की संख्या ज्यादा जबकि बच्चों की संख्या कम मिल रही है। शिक्षक भी कम बच्चे स्कूल आने का फायदा उठाकर स्कूल से बिना सूचना के ही गायब हो रहे हैं। जब कोई निरीक्षण करने पहुंचता है तो उसके साथी उसका अवकाश लगाकर पूर्ति कर देते हैं। ऐसा एडजस्टमेंट ग्रामीण अंचल की शालाओं में तो चल ही रहा है शहरी शालाओं में भी होने लगा है। शुक्रवार को नवीन कन्या उमावि संकुल प्राचार्य ममता अग्रवाल ने चार स्कूलों का निरीक्षण किया। चारों में मिलाकर दर्ज विद्यार्थियों की संख्या ढाई सौ से ज्यादा है किंतु सभी में मिलाकर स्कूल में मौजूद बच्चों की संख्या एक दर्जन ही रही।
प्रावि प्रतापनगर

स्कूल में 45 विद्यार्थी दर्ज है और दो शिक्षिकाएं यहां पदस्थ है। एक शिक्षिका पहले से ही मेडिकल अवकाश पर चल रही है और दूसरी जो प्रभारी है वह खुद ही अवकाश लेकर स्कूल से चली गई। शुक्रवार को स्कूल में कोई शिक्षिका नहीं थी अलबत्ता यहां तीन छात्राएं पढऩे जरुर पहुंची थी। प्राचार्य ने इन्हें कुछ देर पढ़ाया और प्रभारी को चेतावनी भी दी।
प्रावि ब्राह्मणों का वास

होमगार्ड कॉलोनी में चलने वाले ब्राह्मणों का वास प्राथमिक विद्यालय में 65 बच्चे दर्ज है और दो शिक्षक पदस्थ। दो बच्चे ही मौजूद थे और दोनों ही शिक्षक भी ड्यूटी पर थे। बच्चों की कम उपस्थिति पर उनका कहना था कि बच्चे नहीं आ रहे हैं। उन्हें बताया गया कि वे बच्चों के अभिभावकों से संपर्क करे। यहां शौचालय भी गंदे ही मिले।
प्रावि सालाखेड़ी

यहां 86 विद्यार्थी दर्ज है जबकि तीन ही बच्चे मिले। तीन शिक्षक-शिक्षिकाएं पदस्थ हैं जिनमें से एक अवकाश और दो उपस्थित मिली। अवकाश पर गई शिक्षिका का आवेदन नहीं था। बच्चों की कम उपस्थिति पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। उनसे कहा गया कि वे घर-घर जाकर अभिभावकों से मिलकर बच्चों को लाएं।
– मावि सालाखेड़ी

मावि सालाखेड़ी में तीन शिक्षक पदस्थ हैं। एक शिक्षिका अनुपस्थित पाए जाने पर पूछा गया कि आवेदन कहां तो कोई जवाब नहीं मिल पाया। दूसरी शिक्षिका उसका अवकाश रजिस्टर में अंकित करने लगी तो प्राचार्य ने टोंकते हुए कहा कि आवेदन नहीं हैं तो अवकाश कैसा। अवकाश काटकर उसकी अनुपस्थिति दर्ज कराई गई।

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