किसी क्षेत्र, गली-कूचों, चौक-चौराहों, गांव, कस्बों आदि के नाम उस स्थान विशेष की खासियत बयान करते हैं। अधिकांश जगहों के नाम किसी व्यक्ति विशेष की याद में रखे जाते हैं, जो लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनते हैं। लेकिन कुछ नाम इतने विचित्र होते हैं कि उसे लेकर हर एक शख्स के मन में यह सवाल निश्चित तौर पर उठता है कि आखिर यह नाम रखा किसने होगा? क्या इसके यह नाम रखने के पीछे वाकई में कोई वजह रही होगी?
यहां है सहेली
ऐसे ही एक दिलचस्प नाम का गांव मध्यप्रदेश में है, जो हमेशा ही राहगीरों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। और तो और मीमर्स भी इसके चटखारे लेने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। हम बात कर रहे हैं होशंगाबाद जिला स्थित इटारसी से कुछ 26 किलोमीटर दूर बसे सहेली गांव की, जो इटारसी - नागपुर रेलखंड का छोटा सा हिस्सा है। हालांकि, इस नाम के इतिहास को खंगालें, तो दूर-दूर तक सहेलियों की कोई कहानी सुनने को नहीं मिलती है, जिससे इसका नाम सहेली पड़ा हो।
ऐसे ही एक दिलचस्प नाम का गांव मध्यप्रदेश में है, जो हमेशा ही राहगीरों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। और तो और मीमर्स भी इसके चटखारे लेने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। हम बात कर रहे हैं होशंगाबाद जिला स्थित इटारसी से कुछ 26 किलोमीटर दूर बसे सहेली गांव की, जो इटारसी - नागपुर रेलखंड का छोटा सा हिस्सा है। हालांकि, इस नाम के इतिहास को खंगालें, तो दूर-दूर तक सहेलियों की कोई कहानी सुनने को नहीं मिलती है, जिससे इसका नाम सहेली पड़ा हो।
मां मैं सहेली के साथ सहेली जा रही नॉर्थवेस्ट रेलवे ने स्वदेसी मंच, कू पर अपने आधिकारिक हैंडल के माध्यम से इस जगह का नाम यूजर्स के सामने उजागर किया है, जो सुनने में जितना दिलचस्प है, इसके ऊपर मीम्स बनाना भी उतना ही मजेदार है। सहेली नाम के इस गांव के चटखारे लेने में नॉर्थवेस्ट रेलवे भी पीछे नहीं रहा, यानी उक्त पोस्ट के माध्यम से विभाग ने कहा है मां मैं सहेली के साथ सहेली जा रही हूं। पढ़कर अजीब लग रहा है न.. लेकिन सहेली नाम का स्टेशन भी है मध्यप्रदेश में, जो मध्य रेल के नागपुर मंडल में आता है।
सहेली गांव जा रहे नाम सहेली होने का यह अर्थ कतई नहीं है कि यह सिर्फ सहेलियों और महिलाओं का गांव है। ग्रामवासियों के साथ ही राहगीरों के चेहरे पर भी यह गांव हर दिन मुस्कान बिखेरता है, क्योकि किसी न किसी तरह से लोग और यहां तक कि पुरुष भी इसके विशेष नाम को लेकर बडे चाव से कहते हैं कि हम अपने दोस्तों के साथ सहेली गांव जा रहे हैं।
सहेलियों वाला स्टेशन जरा सोचिए, जब आप स्टेशन पर अकेली बैठी हों, तो कम से कम आपको इस बात का दिलासा रहेगा कि मेरे साथ मेरी सहेली यहीं मेरे पास है, तो फिर किस बात का डर.. तो फिर हुआ न यह स्टेशन सहेलियों वाला स्टेशन, जो हर पल अपनी सहेली के साथ रहता है....
