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मध्यप्रदेश के इस जिले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाएं पहन रही फटी-पुरानी ड्रेस, पढ़े पूरी खबर

locationरतलामPublished: Jan 03, 2020 12:58:05 pm

Submitted by:

Gourishankar Jodha

खाते में पहुंची राशि लेकिन नहीं खरीद पा रही नई ड्रेस और ना बाजार में दुकानदारों के यहां मिल रही

मध्यप्रदेश के इस जिले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाएं पहन रही फटी-पुरानी ड्रेस, पढ़े पूरी खबर

मध्यप्रदेश के इस जिले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाएं पहन रही फटी-पुरानी ड्रेस, पढ़े पूरी खबर

रतलाम। मध्यप्रदेश में सरकार बदलते ही महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित की जा रही आंगनवाड़ी केंद्रों पर कार्यरत कार्यकर्ता और सहायिकाएं इन दिनों असमंजस की स्थिति से गुजर रही है। कई कार्यकर्ता और सहायिकाएं ऐसी ही जिनकी ड्रेस काफी पुरानी होकर फट चुकी है, लेकिन वे बदल नहीं पा रही है। क्योंकि ना तो यह ड्रेस बाजार मिल रही है और कहीं पुरानी रखी भी है तो वह लाने में भी दोहरी मार पड़ सकती हैं, क्योंकि अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक ड्रेसकोड बदलने की संंभावना व्यक्त की जा रही है।
इसलिए नहीं खरीद रही कार्यकर्ता ड्रेस
बताया जा रहा है कि सरकार बदलने के साथ ही ड्रेस भी बदल सकती है, अब तक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं गुलाबी ड्रेस पहन रही है। अब ऐसी स्थिति में विभागीय अधिकारी भी स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रहे हैं कि आखिर करे तो क्या करे, क्योंकि अगर ड्रेस खरीदते है और दूसरी ड्रेसकोड जारी कर दिया जाता है तो फिर ये ड्रेस किसी काम की नहीं रह जाएगी और दोहरी मार कार्यकर्ता और सहायिकाओं को झेलना पड़ेगी।
दुकानों पर भी नहीं मिल रही ड्रेस
बता दे कि जिले में 1720 के करीब आंगनवाड़ी केंद्र संचालित होते हैं और इन पर कार्यकर्ता और सहायिकाएं करीब 3844 हजार कार्यरत होगी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं का कहना है कि ड्रेस बदलने की बात की जा रही है, क्योंकि पिछली सरकार की ड्रेस अब तक चल रही है, लेकिन अब ऐसा बताया जा रहा है कि वर्तमान सरकार के साथ ही ड्रेस भी बदली जा रही है, इस कारण दुकानदार भी नई ड्रेस नहीं लाकर रख रहे हैं कि अगर ड्रेस बदलती है तो उन्हे भी नुकसान होगा, इस कारण से ड्रेस मिल भी नहीं रही है। कई कार्यकर्ता-सहायिकाएं इस कारण से फटी-पुरानी ड्रेस पहनने को मजबूर है।
वरिष्ठालय से मार्गदर्शन ले लेते है
विभागीय स्तर पर सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओं बैंक खातों में दो-दो साडिय़ों की राशि जमा करा दी गई, उन पर किसी प्रकार का दबाव भी नहीं है। हां ड्रेस कोड को लेकर कुछ दिक्कत है, इसलिए हम राशि भी खर्च नहीं करवा रहे हैं कि ड्रेस बदल नहीं जाए। इस संबंध में वरिष्ठालय से मार्गदर्शन ले लेते हैं।
सुनिता यादव, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला बाल विकास विभाग, रतलाम
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