2001 में हम 12 लाख से कुछ ज्यादा आबादी के साथ थे तैयार
जनगणना वर्ष 2001 में रतलाम जिले की आबादी 12 लाख 15 हजार 393 थी, जनगणना वर्ष में हमने करीब 25.1 फीसदी की दर से बढ़ोतरी दर्ज कराई। इस वर्ष में जिले में जहां 6 तहसील थी, वहीं मझली श्रेणी वाले नगरों की संख्या भी आठ ही थी। 67.2 प्रतिशत साक्षरता की दर के साथ दावा आने वाले वर्षो में आबादी की रफ्तार कम करने का था, क्योंकि दबाव संसाधनों का दोहन बढ़ाने के साथ चिंता भी दर्शा रहा था।
जनगणना वर्ष 2001 में रतलाम जिले की आबादी 12 लाख 15 हजार 393 थी, जनगणना वर्ष में हमने करीब 25.1 फीसदी की दर से बढ़ोतरी दर्ज कराई। इस वर्ष में जिले में जहां 6 तहसील थी, वहीं मझली श्रेणी वाले नगरों की संख्या भी आठ ही थी। 67.2 प्रतिशत साक्षरता की दर के साथ दावा आने वाले वर्षो में आबादी की रफ्तार कम करने का था, क्योंकि दबाव संसाधनों का दोहन बढ़ाने के साथ चिंता भी दर्शा रहा था।
2011 तक आते-आते 19.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ते रहे हम
जनगणना वर्ष 2011 में रतलाम जिले की आबादी 14 लाख 55 हजार 069 हो गई। 10 वर्षो में 19.7 फीसदी की दर से आबादी बढ़ती गई। परिणाम ये रहा कि तहसीलों की संख्या आठ करना पड़ी तो मझली श्रेणी वाले नगरों की संख्या बढक़र 10 पर आ गई। साक्षरता दर 66.8 प्रतिशत पर पहुंच गई, वर्ष 2001 की अपेक्षा इसमें कमी दर्ज हुई। ग्रामीण में 20.4 तो शहरी क्षेत्र में 18.1 प्रतिशत की दर से जनसंख्या में बढ़ोतरी हुई थी।
जनगणना वर्ष 2011 में रतलाम जिले की आबादी 14 लाख 55 हजार 069 हो गई। 10 वर्षो में 19.7 फीसदी की दर से आबादी बढ़ती गई। परिणाम ये रहा कि तहसीलों की संख्या आठ करना पड़ी तो मझली श्रेणी वाले नगरों की संख्या बढक़र 10 पर आ गई। साक्षरता दर 66.8 प्रतिशत पर पहुंच गई, वर्ष 2001 की अपेक्षा इसमें कमी दर्ज हुई। ग्रामीण में 20.4 तो शहरी क्षेत्र में 18.1 प्रतिशत की दर से जनसंख्या में बढ़ोतरी हुई थी।
प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी जुटाना भी मुश्किल
बढ़ते जनसंख्या दबाव का आंकलन बुनियादी जरूरतों पर होता असर दर्शा रहा है। जिले के 7 प्रमुख निकायों में से आधे में प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी उपलब्ध करने में भी मुश्किल आ रही है। रतलाम शहर में गर्मियों के दौरान 2 लाख 65 हजार की आबादी को एक दिन छोडक़र पेयजल दिया गया, इससे रोजाना का औसत भी पूरा नहीं हो पाया। मांग करीब 90 लाख गैलन पानी की थी जबकि उपलब्धता महज 70 लाख गैलन रही।
बढ़ते जनसंख्या दबाव का आंकलन बुनियादी जरूरतों पर होता असर दर्शा रहा है। जिले के 7 प्रमुख निकायों में से आधे में प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी उपलब्ध करने में भी मुश्किल आ रही है। रतलाम शहर में गर्मियों के दौरान 2 लाख 65 हजार की आबादी को एक दिन छोडक़र पेयजल दिया गया, इससे रोजाना का औसत भी पूरा नहीं हो पाया। मांग करीब 90 लाख गैलन पानी की थी जबकि उपलब्धता महज 70 लाख गैलन रही।
जनसंख्या पर काबू पाना होगा
जनसंख्या बढऩे की दर काफी ज्यादा है, आबादी बढऩा नुकसानदेह नहीं है, बल्कि इसकी बढऩे की रफ्तार ज्यादा प्रभाव डालती है। बढ़ोतरी का दबाव झेलने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन नहीं है, उपभोग व उपलब्धता में अंतर गहराता जा रहा है।
– डॉ. विजया कुशवाह, सहायक प्रोफेसर रतलाम
जनसंख्या बढऩे की दर काफी ज्यादा है, आबादी बढऩा नुकसानदेह नहीं है, बल्कि इसकी बढऩे की रफ्तार ज्यादा प्रभाव डालती है। बढ़ोतरी का दबाव झेलने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन नहीं है, उपभोग व उपलब्धता में अंतर गहराता जा रहा है।
– डॉ. विजया कुशवाह, सहायक प्रोफेसर रतलाम