1,95,743 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार बढ़ेगा
आपको बता दें इस साल सितंबर माह में जारी मिनिस्ट्री की फ्लैश रिपोर्ट के अनुसार, 1263 परियोजनाओं के पूरा होने की कुल वास्तविक लागत 15,53,683 करोड़ रुपए थी और इनके अब पूरा होने पर अनुमानित लागत बढक़र 17,49,427.56 करोड़ रु. हो सकती है। इस तरह, इन परियोजनाओं पर अब वास्तविक अनुमानित लागत से 1,95,743 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च होंगे।
आपको बता दें इस साल सितंबर माह में जारी मिनिस्ट्री की फ्लैश रिपोर्ट के अनुसार, 1263 परियोजनाओं के पूरा होने की कुल वास्तविक लागत 15,53,683 करोड़ रुपए थी और इनके अब पूरा होने पर अनुमानित लागत बढक़र 17,49,427.56 करोड़ रु. हो सकती है। इस तरह, इन परियोजनाओं पर अब वास्तविक अनुमानित लागत से 1,95,743 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च होंगे।
297 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं
सि तंबर 2017 तक इन परियोजनाओं पर 6,79,801 करोड़ रु. खर्च हो चुका है। परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 38.86 फीसदी है। 1263 परियोजनाओं में से 350 की लागत बढ़ गई है और 297 परियोजनाएं देरी से चल रहे हैं। इन 1263 परियोजनाओं में 14 समय से पहले, 307 समय पर, 297 देरी से, 350 की लागत बढ़ी व 103 परियोजनाओं का समय व लागत दोनों निर्धारित अनुमान से बढ़ गई है। यदि संशोधित शेड्यूल के आधार पर देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या देखें तो यह घटकर 249 रह गई है।
मेगा परियोजनाओं की लागत 1.67 लाख करोड़ बढ़ी
इन 1263 परियोजनाओं में 380 मेगा परियोजनाओं है, जिनकी लागत 1000 करोड़ या इससे ज्यादा है। इन 380 परियोजनाओं की कुल वास्तविक लागत 11,96,304.11 करोड़ रुपए थी, जोकि अब पूरा होने की स्थिति में बढक़र 13,62,966.67 करोड़ रुपए हो गई है। इस तरह मेगा परियोजनाओं की लागत 1.67 लाख करोड़ रुपए बढ़ी है, जो कि इन की वास्तविक लागत का 13.93त्न है।
इन 1263 परियोजनाओं में 380 मेगा परियोजनाओं है, जिनकी लागत 1000 करोड़ या इससे ज्यादा है। इन 380 परियोजनाओं की कुल वास्तविक लागत 11,96,304.11 करोड़ रुपए थी, जोकि अब पूरा होने की स्थिति में बढक़र 13,62,966.67 करोड़ रुपए हो गई है। इस तरह मेगा परियोजनाओं की लागत 1.67 लाख करोड़ रुपए बढ़ी है, जो कि इन की वास्तविक लागत का 13.93त्न है।
इसलिए बढ़ी लागत
परियोजनाओं की लागत बढऩे की अहम वजह इनका समय से पूरा न हो पाना है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण, फॉरेस्ट क्लियरेंस और समानों की सप्लाई में देरी और कानून व्यवस्था जैसी वजहें जिम्मेदार हैं।
परियोजनाओं की लागत बढऩे की अहम वजह इनका समय से पूरा न हो पाना है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण, फॉरेस्ट क्लियरेंस और समानों की सप्लाई में देरी और कानून व्यवस्था जैसी वजहें जिम्मेदार हैं।