इस संबंध में केन्द्र सरकार ने राज्यों को कहा कि जो बिल्डर्स प्राइवेट लैंड पर इनसीटू स्लम रिडेवलपमेंट (ISSR) प्रोजेक्ट बनाने के लिए तैयार होगा, उसे इन्सेंटिव के तौर पर 50 फीसदी फ्लोर एरिया रेश्यो (FAR) की इजाजत दी जाएगी। बता दें ISSR प्रधानमंत्री आवास योजना का ऐसा कंपोनेंट है, जिसके तहत स्लम बस्तियों में रह रहे लोगों को वहीं पर पक्के मकान बनाकर दिए जाते है।
इसके लिए स्लम बस्ती चाहे सरकारी जमीन पर बसी हो या प्राइवेट जमीन पर। पक्के मकान बनाने के दौरान झुग्गी में रहने वालों लोगों को अस्थायी तौर पर कही और शिफ्ट किया जाता है। मकान बनने के बाद उन्हें झुग्गी वासियों को सौंप दिए जाते हैं, जबकि डेवलपर को एक्सट्रा एफएआर दिया जाता है। साथ ही, 1 लाख रुपए प्रति घर भी केंद्र सरकार द्वारा दिया जाता है। लेकिन अभी तक प्राइवेट जमीन को लेकर एक्सट्रा एफएआर को लेकर कोई स्पष्ट नियम नहीं हैं।
पिछले दिनों मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स की सेंट्रल सेंक्शनिंग एंड मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक में राज्यों ने कहा कि डेवलपर्स ISSR प्रोजेक्ट्स में ज्यादा रूचि नहीं ले रहे हैं। खासकर प्राइवेट लैंड पर ऐसे प्रोजेक्ट्स को लेकर डेवलपर्स बिल्कुल भी आगे नहीं आ रहे हैं। इस बैठक में राज्यों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य सरकारें प्राइवेट लैंड पर आईएसएसआर प्रोजेक्ट बनाने पर 50 फीसदी तक अतिरिक्त एफएआर की पेशकेश करेंगी, ताकि डेवलपर्स को इस प्रोजेक्ट के लिए आगे लाया जा सके।
इतना ही नहीं मिनिस्ट्री ने राज्यों से यह भी कहा कि जो लोग प्रधानमंत्री आवास योजना के बैनिफिशयरी लेड कंस्ट्रक्शन कंपोनेंट के तहत घर बना रहे हैं, यदि वे दिए गए समय से पहले घर तैयार कर देते हैं तो उन्हें आर्थिक रूप से अतिरिक्त इन्सेंटिव दिया जाए। ताकि लोग जल्दी से जल्दी घर बनाने के लिए प्रेरित हो।