सरकार ने नए ड्राफ्ट रूल में प्राइवेट डवलपर्स के साथ मिलकर सस्ते घरों का निर्माण के लिए छह मॉडल बताएं हैं। इसमें लैंड उपलब्ध कराने से लेकर फंडिंग तक का प्रावधान है। रियल एस्टेट एक्सपट्र्स का मानना है कि नए ड्राफ्ट में किए गए प्रावधान से देश भर में सस्ते घरों के निर्माण में तेजी आएगी जिससे 2022 तक हाउसिंग फॉर ऑल को पूरा करने में मदद मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि अभी तक सरकर की तमाक कोशिशों और कई तरह की रियायतें देने के बावजूद प्राइवेट अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स लॉन्च करने में प्राइवेट डवलपर्स उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। क्या है प्राइवेट लैंड पर पीपीपी मॉडल?
इस मॉडल के तहत प्राइवेट डेवलपर्स को अपनी जमीन पर सस्ते घर बनाने होंगे। इसके एवज में सरकार स्टेट सब्सिडी, स्टाम्प ड्यूटी पर छूट, डेवलपमेंट चार्ज पर छूट, एफएआर में इजाफा आदि देगी।
इस मॉडल के तहत प्राइवेट डेवलपर्स को अपनी जमीन पर सस्ते घर बनाने होंगे। इसके एवज में सरकार स्टेट सब्सिडी, स्टाम्प ड्यूटी पर छूट, डेवलपमेंट चार्ज पर छूट, एफएआर में इजाफा आदि देगी।
प्रोजेक्ट की होगी मॉनिटरिंग
सरकार ईडब्लयूएस हाउसिंग यूनिट बनाने के लिए 1.50 लाख रुपए प्रति यूनिट ग्रांट दी जाएगी, लेकिन प्रोजेक्ट के तहत बने घरों की कीमत सरकार तय करेगी और मॉनिटरिंग भी करेगी।
सरकार ईडब्लयूएस हाउसिंग यूनिट बनाने के लिए 1.50 लाख रुपए प्रति यूनिट ग्रांट दी जाएगी, लेकिन प्रोजेक्ट के तहत बने घरों की कीमत सरकार तय करेगी और मॉनिटरिंग भी करेगी।
क्या है सरकारी जमीन पर पीपीपी मॉडल?
इस मॉडल के तहत प्राइवेट डवलपर्स को सरकार जमीन देगी। उस जमीन पर डवलपर्स को सस्ते घर बनाने होंगे। इस मॉडल को छह कैटेगिरी में बांटा गया है।
इस मॉडल के तहत प्राइवेट डवलपर्स को सरकार जमीन देगी। उस जमीन पर डवलपर्स को सस्ते घर बनाने होंगे। इस मॉडल को छह कैटेगिरी में बांटा गया है।
3.14 करोड़ सस्ते घर चाहिए शहरों में 2022 तक
2.95 करोड़ घर चाहिए ग्रामीण एरिया में ये हैं छह मॉडल
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