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अब होम बायर्स करेंगे अधिकारियों के बराबर में बैठकर रियल एस्टेट कंपनियों का फैसला

locationनई दिल्लीPublished: Jul 05, 2018 10:39:40 am

Submitted by:

Saurabh Sharma

इन्सॉल्वंसी की कार्रवाई का सामना कर रही कंपनियों के डिपॉजिटर्स और होमबायर्स को एक नया अधिकार मिल गया है।

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अब होम बायर्स करेंगे अधिकारियों के बराबर में बैठकर रियल एस्टेट कंपिनयों का फैसला

नई दिल्ली। इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी कोड के कानून जैसे जैसे सचत होते जा रहे हैं, उससे आम लोगों की ताकत में इजाफा होता जा रहा है। इस बार रियल एस्टेट में होम बायर्स को बड़ी ताकत मिल गर्इ है। अब वो अधिकारियों के साथ बैठकर हजारों करोड़ रुपयों की कंपनी का फैसला करेंगे। वास्तव में इन्सॉल्वंसी की कार्रवाई का सामना कर रही कंपनियों के डिपॉजिटर्स और होमबायर्स को एक नया अधिकार मिल गया है। अब होम बायर्स कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स के सामने तीन इन्सॉल्वंसी प्रफेशनल्स के पैनल में से अपने प्रतिनिधि को नॉमिनेट कर सकेंगे। सीआेसी ही वह संस्था है बदहाल कंपनियों की किस्मत का फैसला करती है। यह कदम इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी कोड (IBC) में संशोधन के बाद उठाया गया है। ताकि होम बायर्स के हितों की सुरक्षा की जा सके।

सीआेसी मेंबर मेंबर बन सकेंगे होम बायर्स
अब बदहाल हो चुकी कंपनियों पर फैसला लेने में कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स में घर खरीदारों का भी प्रतिनिधित्व होगा। इससे पहले आशंका जताई जा रही थी कि लेंडर्स (बैंक) जिनका अकेले प्रतिनिधित्व होता है, वे ऐसी डील कर लेंगे जिससे दूसरे हितधारकों की अनदेखी हो सकती है। इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी बोर्ड ऑफ इंडिया के द्वारा नोटिफाइड किए गए नियमों के तहत क्रेडिटर्स की हर कैटिगरी (डिपॉजिटर्स, सिक्यॉरिटी होल्डर और होमबायर), जिसमें कम के कम 10 व्यक्ति या संस्थाएं हो सकती हैं, उन्हें सीआेसी में अपना मेंबर नॉमिनेट करने का मौका मिलेगा।

हर चीज की होगी जानकारी
जानकारी के अनुसार इन्सॉल्वंसी प्रफेशनल को संबंधित क्लास के क्रेडिटर्स के अधिकृत प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। वहीं रेजॉलूशन प्लान्स के लिए अनुरोध में प्रक्रिया के हर कदम, तरीका, टाइमलाइन और रेजॉलूशन प्रफेशनल व आवेदक के बीच बातचीत के मकसद की जानकारी होगी।

बिल्डर को बताना होगा हर समस्या का हल
बिडर्स द्वारा तैयार किए गए रेजॉलूशन प्लान में यह स्पष्ट करना होगा कि डिफॉल्ट होने के कारण को किस तरह से अड्रेस किया जा रहा है, क्या यह व्यावहारिक और संभव है, प्रभावी तौर पर लागू करने का प्रावधान क्या है और इसे लागू करने की आवेदक की क्षमता समेत कई दूसरी चीजें भी इसमें शामिल होंगी। नए नियमों में हर ऐक्शन के लिए एक विस्तृत टाइमलाइन भी दी गई है, जिससे पूरी प्रक्रिया कानून के तहत दी गई 180 दिनों की डेडलाइन में पूरी की जा सके।

 

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