डवलपर का ट्रैक रिकॉर्ड चेक करें
डवलपर की विश्वसनीयता और उसका ट्रैक रिकॉर्ड, सार्वजनिक परिवहन की स्थिति और प्रोजेक्ट के प्रॉपर्टी मैनेजमेंट की गुणवत्ता पर भी गौर करें। अगर आप किसी रिटेल स्टोर में निवेश कर रहे हैं तो आपको यह भी देखना चाहिए कि वहां कितने लोग आ सकते हैं और आसपास के आकर्षण क्या हैं।
डवलपर की विश्वसनीयता और उसका ट्रैक रिकॉर्ड, सार्वजनिक परिवहन की स्थिति और प्रोजेक्ट के प्रॉपर्टी मैनेजमेंट की गुणवत्ता पर भी गौर करें। अगर आप किसी रिटेल स्टोर में निवेश कर रहे हैं तो आपको यह भी देखना चाहिए कि वहां कितने लोग आ सकते हैं और आसपास के आकर्षण क्या हैं।
छोटे साइज का चुनाव कर निवेश करें
कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करना चाहते हैं तो छोटे साइज की प्रॉपर्टी में निवेश करें। मुंबई, दिल्ली-एनसीआर के अलावा टियर टू और थ्री शहरों में छोटे-छोटे कॉमर्शियल यूनिट (500-1000 वर्ग फीट) उपलब्ध हैं। कुछ साल पहले की तुलना में यह बिल्कुल अलग है।
कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करना चाहते हैं तो छोटे साइज की प्रॉपर्टी में निवेश करें। मुंबई, दिल्ली-एनसीआर के अलावा टियर टू और थ्री शहरों में छोटे-छोटे कॉमर्शियल यूनिट (500-1000 वर्ग फीट) उपलब्ध हैं। कुछ साल पहले की तुलना में यह बिल्कुल अलग है।
खरीदने से पहले इन बातों पर गौर करें
कमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश से पहले उस प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू और भविष्य में डिमांड कैसा रहेगा, यह जरूर देखें। आपके द्वारा निवेश की गई प्रॉपर्टी में किराएदारों की दिलचस्पी कैसा होगा, इसके बारे में रिसर्च कर जानकारी जरूर इक_ा करें। कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करने से पहले प्रॉपर्टी के लोकेशन के साथ-साथ वहां की डिमांड और सप्लाई की स्थिति पर भी गौर करना फायदेमंद होता है। अगर सही तरीके से रिसर्च नहीं किया गया तो नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश से पहले उस प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू और भविष्य में डिमांड कैसा रहेगा, यह जरूर देखें। आपके द्वारा निवेश की गई प्रॉपर्टी में किराएदारों की दिलचस्पी कैसा होगा, इसके बारे में रिसर्च कर जानकारी जरूर इक_ा करें। कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करने से पहले प्रॉपर्टी के लोकेशन के साथ-साथ वहां की डिमांड और सप्लाई की स्थिति पर भी गौर करना फायदेमंद होता है। अगर सही तरीके से रिसर्च नहीं किया गया तो नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश के फायदे
कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की रेंटल यील्ड आम तौर पर 9-12 फीसदी होती है। दूसरी तरफ रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की रेंटल यील्ड 2-3.5 फीसदी होती है। भारत में ऑफिस स्पेस की मांग तेजी से बढ़ रही है। कमर्शियल स्पेस में निवेश कर आप प्रॉपर्टी को बढ़ी हुई कीमत पर बेचकर अच्छा मुनाफा काम सकते हैं। वहीं रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की तुलना में कमर्शियल प्रॉपर्टी से किराया भी अधिक मिलेगा।
कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की रेंटल यील्ड आम तौर पर 9-12 फीसदी होती है। दूसरी तरफ रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की रेंटल यील्ड 2-3.5 फीसदी होती है। भारत में ऑफिस स्पेस की मांग तेजी से बढ़ रही है। कमर्शियल स्पेस में निवेश कर आप प्रॉपर्टी को बढ़ी हुई कीमत पर बेचकर अच्छा मुनाफा काम सकते हैं। वहीं रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की तुलना में कमर्शियल प्रॉपर्टी से किराया भी अधिक मिलेगा।
छोटे कॉमर्शियल यूनिट में निवेश के फायदे
छोटे कॉमर्शियल यूनिट में आपको कम निवेश में ज्यादा रिटर्न मिलेगा। साथ ही किराएदार ढूंढना भी आसान होगा। इसके साथ ही आप अपना कारोबार शुरू करने के लिए भी स्पेस का इस्तेमाल कर सकते हैं।
छोटे कॉमर्शियल यूनिट में आपको कम निवेश में ज्यादा रिटर्न मिलेगा। साथ ही किराएदार ढूंढना भी आसान होगा। इसके साथ ही आप अपना कारोबार शुरू करने के लिए भी स्पेस का इस्तेमाल कर सकते हैं।