script1 अप्रैल से क्या सच में सस्ता होगा घर खरीदना या फिर फंसेगा पेंच, ये है हकीकत | KNow the truth of cheap property rates from 1st april | Patrika News

1 अप्रैल से क्या सच में सस्ता होगा घर खरीदना या फिर फंसेगा पेंच, ये है हकीकत

locationनई दिल्लीPublished: Mar 28, 2019 05:37:01 am

Submitted by:

manish ranjan

सस्ते घर खरीदने का सपना कितना होगा पूरा
1 अप्रैल से बदलने जा रहे नियम
सस्ते घर की पूरी हकीकत

Real Estate

1 अप्रैल से क्या सच में सस्ता होगा घर खरीदना या फिर फंसेगा पेंच, ये है हकीकत

नई दिल्‍ली। पहली अप्रैल से हाउसिंग सेक्‍टर पर जीएसटी की नई दरें लागू हो जाएंगी। इसके नियम-कानून हाल ही में स्‍पषट कर दिए गए। आशा जतायी जा रही है कि सरकार का यह कदम सुस्‍त पडे रिएल एस्‍टेट सेक्‍टर को रफ्तार देगा। क्‍या वाकई ऐसा है या फिर इसमें कुछ पेंच हैं ? जानते हैं विशेषज्ञों से।
विशेषज्ञों की मानें तो बदली गयी जीएसटी दरें उपभोक्‍ताओं के लिए कुछ ऐसे ही साबित होने वाली हैं जैसा कि डीटीएच यानी डायरेक्‍ट टु होम सेवा के मामले में हुआ है। उपभोक्‍ताओं को लगा था कि उन्‍हें पहले से कम पैसे खर्च करने होंगे, लेकिन केलकुलेशन समझ आयी तो पता चला कि अब उनके लिए मनोरंजन और महंगा हो गया है।
जीएसटी विशेषज्ञ एवं सर्वाधिक एडवांस जीएसटी अकाउंटिंग साफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी बिजी इंफोटेक के निदेशक राजेश गुप्‍ता का कहना है कि नई लागू हुई दरों से उपभोक्‍ता को कोई लाभ नहीं मिलने वाला, बल्कि घरों की कीमत में इससे इजाफा होने की उम्‍मीद अधिक है। अपनी बात को स्‍पष्‍ट करते हुए उन्‍होंने कहा, ‘’ निर्माणाधीन अर्फोडेबल हाउसिंग में जीएसटी 1 प्रतिशत जबकि अन्‍य में 5 प्रतिशत रखा गया है। यहां ध्‍यान देने वाली बात यह है कि इन दरों पर बिल्‍डर को इनपुट टैक्‍स क्रेडिट का लाभ नहीं मिल सकेगा। जो कि पहले उसे मिल रहा था।
यानी बिलडर जो सामान परचेज करता है, उस पर उसे लगभग 12 फीसदी जीएसटी देना पडता है। पहले उसे इस खरीद पर इनपुट टैक्‍स क्रेडिट मिल जाता था, जिसका लाभ वह मकान की कीमत घटा कर उपभोक्‍ताओं को दे देता था, लेकिन अब चूंकि उसे इनपुट टैक्‍स क्रेडिट नहीं मिलेगा तो बहुत संभावना है कि वह इस खर्च को मकान की कीमत में बढोत्‍तरी करके मैनेज करेगा, जिससे जीएसटी दर घटने के बावजूद उपभोक्‍ताओं के लिए मकान सस्‍ते होने की संभावना कम ही नजर आती है।‘’
दूसरी ओर रिएल एस्‍टेट व्‍यावसाय से जुडे विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बाजार सेंटीमेंट्स पर चलता है और जीएसटी दरों का कम होना कहीं न कहीं बाजार में थोडी तेजी तो लाएगा ही। विशेषज्ञों का मानना यह भी है कि हो सकता है इस नए फैसले के बाद रिएल एस्‍टेट सेक्‍टर में नगद लेन-देन को बढावा मिले। इनपुट टैक्‍स क्रेडिट के लाभ से वंचित हुए बिल्‍डर जीएसटी बचाने के लिए हो सकता है कुछ या बहुत हद तक ख्‍रीदारी नगद में करना शरू कर दें।
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