खास यह है कि बहुमंजिला इमारतों के निर्माण को बढ़ावा देने के बड़े प्रावधान किए गए हैं। यानी, शहरों का विकास अब वर्टिकल (उंचाई की तरफ) की तरफ करने का पूरा इंतजाम किया गया। हालांकि, नए एकीकृत बायलॉज की आड़ में सरकार ने बेतरतीब तरीके से बसे इलाकों और कच्ची बस्ती क्षेत्रों में नियमित करने की तैयारी कर ली है।
ऐसे इलाकों में 6 मीटर यानी 20 फीट से भी कम चौड़ी सडक़ निर्माण की अधिकारिक तौर पर अनुमति दे दी जाएगी। वहीं, 30 फीट सडक़ पर बनी दुकानों, कॉमर्शियल गतिविधियों को भी वैध करने की छूट दे दी है। यानी, ऐसे बस्तियों में सुनियोजित विकास की बजाय दम घोंटने के इंतजाम कर दिए। उधर, भूखंड के अग्र सेटबैक की गणना अब सडक़ की चोड़ाई के आधार पर होगी, अभी तक भूखंड क्षेत्रफल के आधार पर होती थी। एफएआर का कंसेप्ट खत्म कर दिया गया। इसके साथ ही छोटे भूखण्डों पर ऊंची इमारतों की गली भी सरकार ने निकाल दी है।
एफएआर कंसेप्ट खत्म, उंचाई की गणना बिल्टअप क्षेत्र से
सरकार अब शहरों का विकास वर्टिकल की तरफ करने की तैयारी कर ली है। यानी आवासीय योजनाएं सृजित करने की बजाय ज्यादा से ज्यादा बहुमंजिला इमारतें बनें। इसके लिए बिल्डरों को मौजूदा सडक़ चौड़ाई पर ज्यादा उंची इमारत बनाने की अनुमति मिल सकेगी। वहीं, एफएआर के कंसेप्ट को खत्म कर दिया गया है। इसकी जगह उंचाई की गणना बिल्टअप क्षेत्र के आधार पर होगी। अभी तक बिल्डर नक्शे में कई तरह की छूट दिखाकर एफएआर में भी छूट लेता रहा है, जबकि मौके पर उससे विपरीत निर्माण कर लेता था।
सरकार अब शहरों का विकास वर्टिकल की तरफ करने की तैयारी कर ली है। यानी आवासीय योजनाएं सृजित करने की बजाय ज्यादा से ज्यादा बहुमंजिला इमारतें बनें। इसके लिए बिल्डरों को मौजूदा सडक़ चौड़ाई पर ज्यादा उंची इमारत बनाने की अनुमति मिल सकेगी। वहीं, एफएआर के कंसेप्ट को खत्म कर दिया गया है। इसकी जगह उंचाई की गणना बिल्टअप क्षेत्र के आधार पर होगी। अभी तक बिल्डर नक्शे में कई तरह की छूट दिखाकर एफएआर में भी छूट लेता रहा है, जबकि मौके पर उससे विपरीत निर्माण कर लेता था।
अब और उंची होगी इमारत
सडक़ चौड़ाई और अग्र सेटबैक के आधार पर बिल्डिंग की उंचाई निर्धारित होगी। मसलन, सडक़ चौड़ाई 18 मीटर है तो उसका डेढ़ गुना उंचाई यानी 27 मीटर और इसमें अग्र सेटबैक जुड़ जाएगा। इसमें अग्र सेटबैक 6 मीटर है तो भूखंड पर कुल 33 मीटर उंचाई तक इमारत का निर्माण किया जा सकेगा। अभी तक यहां 9 मंजिल का निर्माण हो सकता था, लेकिन अब बिल्डर 11 मंजिल तक निर्माण कर सकेगा।
सडक़ चौड़ाई और अग्र सेटबैक के आधार पर बिल्डिंग की उंचाई निर्धारित होगी। मसलन, सडक़ चौड़ाई 18 मीटर है तो उसका डेढ़ गुना उंचाई यानी 27 मीटर और इसमें अग्र सेटबैक जुड़ जाएगा। इसमें अग्र सेटबैक 6 मीटर है तो भूखंड पर कुल 33 मीटर उंचाई तक इमारत का निर्माण किया जा सकेगा। अभी तक यहां 9 मंजिल का निर्माण हो सकता था, लेकिन अब बिल्डर 11 मंजिल तक निर्माण कर सकेगा।
यह भी किया
बिल्डरों को पर्यावरणीय एनओसी लाने की बाध्यता से मुक्त कर दिया गया है। बायलॉज में ही ऐसे प्रावधान कर दिए हैं कि जिनके लिए निर्माणकर्ता को पर्यावरणी स्वीकृति के लिए प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के पास जाना पड़ रहा था। इसके पीछे केन्द्र सरकार के दिशा—निर्देश का हवाला दिया गया है।
— रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट) के प्रावधान को भी इसमें जोड़ा गया है।
— बेटरमेंट लेवी की गणना को सरल किया गया है। इसमें आवासीय के लिए आरक्षित दर की 20 प्रतिशत और व्यावसायिक के लिए व्यावसायिक आरक्षित दर की 20 प्रतिशत लेवी ली जाएगी।
बिल्डरों को पर्यावरणीय एनओसी लाने की बाध्यता से मुक्त कर दिया गया है। बायलॉज में ही ऐसे प्रावधान कर दिए हैं कि जिनके लिए निर्माणकर्ता को पर्यावरणी स्वीकृति के लिए प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के पास जाना पड़ रहा था। इसके पीछे केन्द्र सरकार के दिशा—निर्देश का हवाला दिया गया है।
— रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट) के प्रावधान को भी इसमें जोड़ा गया है।
— बेटरमेंट लेवी की गणना को सरल किया गया है। इसमें आवासीय के लिए आरक्षित दर की 20 प्रतिशत और व्यावसायिक के लिए व्यावसायिक आरक्षित दर की 20 प्रतिशत लेवी ली जाएगी।
अभी तक 100 रुपए प्रति वर्गफीट या आरक्षित दर का 25 प्रतिशत बेटरमेंट लेवी ली जाती रही है। नगरीय विकास विभाग ने जारी किए आदेश, नोटिफिकेशन भी
सडक़ चौड़ाई 6 मीटर से कम होने पर आवासीय उपयोग के लिए भूतल व एक मंजिल।
सडक़ चौड़ाई 6 मी. व उससे अधिक होने पर आवसीय उपयोग के लिए भूतल व 2 मंजिल तक निर्माण।
9 मीटर व उससे अधिक चौड़ी सडक़ पर वाणिज्यिक निर्माण विकसित होने पर भूतल पर कॉमर्शियल, संस्थागत निर्माण की अनुमति।
9 मी. गहराई तक वाणिज्यिक गतिविधि अनुज्ञेय होगी।
सडक़ चौड़ाई 6 मीटर से कम होने पर आवासीय उपयोग के लिए भूतल व एक मंजिल।
सडक़ चौड़ाई 6 मी. व उससे अधिक होने पर आवसीय उपयोग के लिए भूतल व 2 मंजिल तक निर्माण।
9 मीटर व उससे अधिक चौड़ी सडक़ पर वाणिज्यिक निर्माण विकसित होने पर भूतल पर कॉमर्शियल, संस्थागत निर्माण की अनुमति।
9 मी. गहराई तक वाणिज्यिक गतिविधि अनुज्ञेय होगी।
सरकार ने छोटे भूखंडों पर बड़ी इमारतों का रास्ता खोला
गैर योजनागत आबादी क्षेत्र में निर्माण को भी मानदंड तय किए गए। इसमें 20 फीट से छोटी सडक़ के निर्माण भी हैं। क्षेत्रों के निर्धारण के लिए निकाय सर्वे करेंगे। यहां बायलॉज लागू होने से पूर्व 90त्न से अधिक क्षेत्र में आबादी विकसित होने वाले इलाके १ माह में चिहिन्त करेंगे।
गैर योजनागत आबादी क्षेत्र में निर्माण को भी मानदंड तय किए गए। इसमें 20 फीट से छोटी सडक़ के निर्माण भी हैं। क्षेत्रों के निर्धारण के लिए निकाय सर्वे करेंगे। यहां बायलॉज लागू होने से पूर्व 90त्न से अधिक क्षेत्र में आबादी विकसित होने वाले इलाके १ माह में चिहिन्त करेंगे।
०३ प्रावधान वर्टिकल डवलपमेंट के
भूखंड के अग्र सेटबैक की गणना अब सडक़ चौड़ाई के आधार पर।
एफएआर का कंसेप्ट खत्म।
बिल्टअप एरिया से होगी इमारत उंचाई की गणना। अभी तक यह था
पिछले बायलॉज के तहत इमारत की उंचाई सडक़ की चौड़ाई के डेढ़ गुना तक दी जाती रही है। 18 मी. चौड़ी सडक़ पर 27 मी. की इमारत बन सकती थी।
भूखंड के अग्र सेटबैक की गणना अब सडक़ चौड़ाई के आधार पर।
एफएआर का कंसेप्ट खत्म।
बिल्टअप एरिया से होगी इमारत उंचाई की गणना। अभी तक यह था
पिछले बायलॉज के तहत इमारत की उंचाई सडक़ की चौड़ाई के डेढ़ गुना तक दी जाती रही है। 18 मी. चौड़ी सडक़ पर 27 मी. की इमारत बन सकती थी।
सडक़ चौड़ाई के आधार पर होगा अग्र सेटबैक
१८ मी. चौड़ी सडक़ -०3 मी.
१८-२४ मी. तक -4.5 मी.
२४-३० मी. तक -०6 मी.
३० मी. से ज्यादा -०9 मी.
(90 वर्गमीटर क्षेत्रफल तक के आवासीय भूखंड पर सामने का सेटबैक न्यूनतम 1.5 मीटर छोडऩा अनिवार्य होगा)
15 मीटर से अधिक उंचे निर्माण पर सामने का सेटबैक न्यूनतम 6 मीटर छोडऩा होगा।
१८ मी. चौड़ी सडक़ -०3 मी.
१८-२४ मी. तक -4.5 मी.
२४-३० मी. तक -०6 मी.
३० मी. से ज्यादा -०9 मी.
(90 वर्गमीटर क्षेत्रफल तक के आवासीय भूखंड पर सामने का सेटबैक न्यूनतम 1.5 मीटर छोडऩा अनिवार्य होगा)
15 मीटर से अधिक उंचे निर्माण पर सामने का सेटबैक न्यूनतम 6 मीटर छोडऩा होगा।