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एनबीएफसी के कारण संकट में रियल एस्टेट कंपनियां, तलाश रहीं नए रास्ते

locationनई दिल्लीPublished: Nov 10, 2018 07:26:28 pm

Submitted by:

Manoj Kumar

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से कर्ज न मिलने के चलते रियल एस्टेट कंपनियों के सामने नकदी का संकट बना हुआ है।

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एनबीएफसी के कारण संकट में रियल एस्टेट कंपनियां, तलाश रहीं नए रास्ते

नई दिल्ली। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से कर्ज न मिलने के चलते नई दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में रियल एस्टेट कंपनियां आपस में गठजोड़ और कारोबार के एकीकरण की राह पर चल पड़ी हैं। कंपनियां भूमि अधिग्रहण, संयुक्त उद्यम और साझा विकास समझौते करने में रुचि ले रही हैं। गोदरेज प्रॉपर्टीज ने हाल में कई डेवलपरों के साथ करार किए हैं। कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि 17 लाख वर्ग फुट इलाके में आवासीय परियोजना के विकास के लिए एस ग्रुप के साथ करार हुआ है। इसके अलावा गोदरेज प्रॉपर्टीज ने नोएडा के सेक्टर 43 में 22 लाख वर्ग फुट के विकास के लिए शिप्रा समूह, ठाणे के घोड़बंदर इलाके में 7 लाख वर्ग फुट क्षेत्र की रिहायशी परियोजना के लिए जमीन खरीद समझौता और बेंगलूरु के देवनहल्ली में 100 एकड़ भूखंड के विकास के लिए साई सृष्टि ग्रुप के साथ एक संयुक्त उद्यम करार भी किया है।
संकटग्रस्त परियोजनाओं का अधिग्रहण कर रही हैं दूसरी कंपनियां

हाल ही में सनटेक रियल्टी ने नैगांव में यूनिकॉर्न डेवलपर्स की एक संकटग्रस्त परियोजना का अधिग्रहण करने के बाद सनटेक वेस्टवर्ल्ड नाम से परियोजना शुरू करने की घोषणा की है। इसी तरह शापूरजी पलोनजी समूह जैसे दिग्गज ने भी निर्मल लाइफस्टाइल के साथ इसी तरह का करार किया है। जेंडर ग्रुप मुंबई में ओमकार रियल्टर्स एंड डेवलपर्स के 28-32 करोड़ डॉलर की अनुमानित लागत वाले प्रोजेक्ट को अधिग्रहीत करने के करीब है। इसी तरह ब्लैकस्टोन ने इंडियाबुल्स की चेन्नई स्थित एक वाणिज्यिक संपत्ति का 12.3 करोड़ रुपए में अधिग्रहण किया है।
विदेशी कंपनियां भी कर रहीं निवेश

जापानी दिग्गज मित्शुबिशी ने बेंगलूरु में श्रीराम प्रॉपर्टीज के एक निर्माणाधीन आवासीय प्रोजेक्ट में 2.5 करोड़ रुपए का निवेश किया है। बेंगलूरु की कंपनी प्रेस्टीज प्रॉपर्टीज की भी निर्मल लाइफस्टाइल के साथ समझौते की बातचीत चल रही है। दिल्ली के एक बड़े रीयल एस्टेट सलाहकार का कहना है कि उम्मीदों पर खरे नहीं उतरने वाले डेवलपर या तो बर्बाद हो जाएंगे या उन्हें बड़े डेवलपरों के साथ जुडऩा पड़ेगा। कर्ज में आ रही दिक्कतों के चलते निजी इक्विटी, वित्तीय संस्थानों और पेंशन फंड जैसे स्रोतों की अहमियत बढ़ी है।
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