रियल एस्टेट

बजट में स्टांप शुल्क का कम होगा भार, जनता पर पड़ रही है दोहरी मार

नोटबंदी के बाद से ही संकट से गुजर रहे रियल एस्टेट क्षेत्र को आगामी बजट से काफी उम्मीदें हैं। सेक्टर की सबसे बड़ी मांग प्रॉपर्टी के सौदों में लगने वाले स्टांप शुल्क में राहत की है।

Jan 29, 2019 / 08:00 pm

Saurabh Sharma

बजट में स्टांप शुल्क का कम होगा भार, जनता पर पड़ रही है दोहरी मार

नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद से ही संकट से गुजर रहे रियल एस्टेट क्षेत्र को आगामी बजट से काफी उम्मीदें हैं। सेक्टर की सबसे बड़ी मांग प्रॉपर्टी के सौदों में लगने वाले स्टांप शुल्क में राहत की है। बिल्डरों और डेवलपरों का कहना है कि जहां रियल एस्टेट पर सेक्टर वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) और स्टांप शुल्क दोनों ही लागू होते हैं। ऐसे में करों की दोहरी मार इस सेक्टर पर पड़ रही है। इसलिए स्टांप शुल्क में बड़ी कटौती की जाए या फिर अन्य उद्योगों की तरह इसे रियल एस्टेट सेक्टर से हटा दिया जाना चाहिए।


रुकी परियोजनाओं के लिए बने 2000 करोड़ का फंड
रीयल्टी कंपनियों के संगठन नारेडको ने केंद्र से आगामी बजट में रियल एस्टेट क्षेत्र की रुकी परियोजनाओं के लिए 2,000 करोड़ रुपए का कोष बनाने की मांग की है। नारेडको ने सरकार को दिए बजट पूर्व ज्ञापन में यह मांग रखी है। संगठन का कहना है कि आइएलएंडएफएस संकट के बाद एनबीएफसी क्षेत्र में नकदी की समस्या और भी गहरा गई है। इसके चलते रियल एस्टेट परियोजनाओं को कर्ज नहीं मिल पा रहा है। उधर 11 सरकारी बैंकों के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के दायरे में आने के चलते बैंक भी कर्ज नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में सरकार को रियल एस्टेट नकदी के लिए फंड बनाना चाहिए, ताकि अटकी परियोजनाओं को बढ़ाने में मदद की जा सके।

जीडीपी में 6.7 फीसदी का योगदान
एक रियल एस्टेट कंपनी के प्रमुख का कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.7 फीसदी का योगदान है। यदि सरकार अनुकूल नीतियां बनाए तो अगले पांच साल में यह 13 फीसदी तक पहुंच सकता है। केंद्र सरकार ने 2022 तक सभी के लिए आवास का लक्ष्य रखा है। रियल एस्टेट सेक्टर की हालत सुधार कर ही यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

रियल एस्टेट की प्रमुख मांगें
– अन्य उद्योगों की तरह रियल एस्टेट क्षेत्र को भी आयकर अधिनियम की धारा 72 ए के दायरे में घाटे के समायोजन की सुविधा दी जाए।
– घर की संपत्ति से नुकसान (डेप्रिशिएशन) के सेट-ऑफ पर प्रतिबंध को हटाया जाए।
– अचल संपत्ति के हस्तांतरण पर भुगतान पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) को खत्म किया जाए।
– रीयल एस्टेट परियोजनाओं के मूल्यांकन के लिए भूमि की लागत की 33 फीसदी की सीमा को खत्म किया जाए, क्योंकि अलग-अलग शहरों में भिन्न होती है। महानगरों में तो यह 80 फीसदी तक चली जाती है।

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