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रीजनल एण्ड अरबन प्लानिंग ऑर्डिनेंसः मनमाने ड्राफ्ट अध्यादेश को लागू करने पर तुली सरकार

देश के अन्य कई राज्यों में टाउन एवं कन्ट्री प्लानिंग एक्ट (रीजनल एवं अरबन प्लानिंग एक्ट) लागू है

Nov 17, 2017 / 03:00 pm

सुनील शर्मा

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जयपुर। मास्टर प्लान मामले में जोधपुर हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने से बचने के लिए राजस्थान रीजनल एण्ड अरबन प्लानिंग ऑर्डिनेंस को लागू करने पर राज्य सरकार तुल गई है। शहरी प्लानिंग के लिए एक ही कानून लागू हो, इसके लिए ऑर्डिनेंस लाया जा रहा है। इसके ड्राफ्ट पर चर्चा के लिए मंगलवार को नगरीय विकास मंत्री श्रीचंद कृपलानी की अध्यक्षता में बैठक हुई।
बैठक में राज्य के विभिन्न नगरीय निकायों, विकास प्राधिकरण, यूआईटी के अध्यक्ष और अधिकारी शामिल हुए। बैठक में जनप्रतिनिधियों ने अलग-अलग शहरों की भौगोलिक स्थिति और आबादी को देखते हुए नियम बनाने का सुझाव दिया। जेएलएन मार्ग स्थित टाउन प्लानिंग कार्यालय में हुई बैठक में जनप्रतिनिधियों ने विशेषकर पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए कानून बनाने की बात कही।
उन्होंने इस कानून को शहरों में घनी आबादी क्षेत्र व नए प्रस्तावित क्षेत्रों को ध्यान में रखकर उसके अनुरूप बनाने पर जोर दिया। हालांकि, इससे निकाय, प्राधिकरण व यूआईटी पर सीधी कमान सरकार अपने हाथ में ले लेगी। गौरतलब है कि देश के अन्य कई राज्यों में टाउन एवं कन्ट्री प्लानिंग एक्ट (रीजनल एवं अरबन प्लानिंग एक्ट) लागू है।
हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार कर खड़ी हो रहीं अवैध इमारतें
विद्याश्रम स्कूल से सटी योजना विवेक विहार और टोंक फाटक के पास सरस्वती कॉलोनी में मास्टर प्लान मामले में हाईकोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखा लगातार अवैध इमारतें खड़ी हो रही हैं। रसूखदारों का दबाव इस कदर है कि अफसर भी जानबूझकर अनजान बने बैठे हैं। गैर अनुमोदित योजना विवेक विहार में लगातार अवैध तरीके से इमारतें बन रही हैं। नगर निगम ने पिछले दिनों 5 भवनों को सील कर फाइल जेडीए को सौंपी थी, इसके बाद तो यहां काम और तेज चल रहा है। जेडीए उपायुक्त, मुख्य नियंत्रक (प्रवर्तन), प्रवर्तन अधिकारी को इसकी जानकारी है लेकिन कार्रवाई करने से बच रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक एक मंत्री के दबाव में यहां इमारत का निर्माण किया जा रहा है और उसी की आड़ में कई अन्य भूखंडों पर 4 से 5 मंजिला तक निर्माण हो गए।
जेडीए के क्षेत्र में निगम कर चुका सीलिंग
निगम ने इसी वर्ष जुलाई में यहां 5 भवनों को सील किया था। तब विवाद हुआ था कि जेडीए क्षेत्र में निगम ने कार्रवाई कैसे कर दी। इसके बाद निगम ने पांच भवनों की फाइल जेडीए का सौंप दी। जोन उपायुक्त ने भी प्रवर्तन शाखा के पाले में गेंद डाल दी।

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