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शहरी सीमा के बाहर निर्माणाधीन आवासीय-व्यावसायिक प्रोजेक्ट भी अब रेरा की जद में

Published: Jan 16, 2018 03:30:06 pm

ऐसे आवास निर्माण करने वालों को भी रेरा (रियल एस्टेट कानून) के दायरे में शामिल कर लिया गया है।

Rera impose on new property
शहरी सीमा के बाहर आवास निर्माण करने वाले बिल्डर—विकासकर्ताओं पर भी सरकार ने नकेल कस दी है। ऐसे आवास निर्माण करने वालों को भी रेरा (रियल एस्टेट कानून) के दायरे में शामिल कर लिया गया है। राजस्थान रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ने बिल्डर व विकासकर्ताओं को ऐसे सभी प्रोजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन रेरा के तहत कराने के आदेश दे दिए हैं। अभी तक शहरी निकायों के बाहरी बनाए जा रहे आवास का पंजीयन कराया ही नहीं जा रहा था। केन्द्र सरकार ने इसका काम स्थानीय अथॉरिटी को सौंपा था। बताया जा रहा है कि राजधानी जयपुर , जोधपुर , कोटा की शहरी सीमा के आस—पास कई आवासीय प्रोजेक्ट धड़ल्ले से बनाए जा रहे हैं। इनका रेरा में पंजीयन नहीं होने से लोगों को मिलने वाली राहत से दूर रहना पड़ता। अभी ऐसे प्रोजेक्टस की संख्या करीब 75 बताई जा रही है।
3 माह की दी मियाद
राज्य में ऐसी आवासीय व व्यावसायिक परियोजनाएं जो योजना क्षेत्र से बाहर हैं तथा जो स्थानीय प्राधिकारी की अपेक्षित अनुज्ञा से विकसित की जाती है, उनसे जुड़े हर प्रमोटर को प्रस्तावित प्रोजेक्ट पंजीकृत कराने होंगे। इसके लिए अधिकतम 3 माह की मियाद दी गई है।
राज्य में रियल एस्टेट रेग्युलर नियुक्त किए गए, जो सभी प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग करेंगे। उपभोक्ता उनसे सीधे शिकायत कर सकते हैं, जिनकी सुनवाई रेग्युलेटर द्वारा की जाएगी।
प्रोजेक्ट लॉन्च होते ही बिल्डर्स को प्रोजेक्ट संबंधित पूरी जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी होती है।
खरीदार से ली गई राशि 15 दिन में बैंक में जमा कराना। इसके लिए एस्क्रो अकांउट में निर्माण लागत की 70 फीसदी राशि जमा कराना अनिवार्य।
डवपलपर को प्रोजेक्ट की बिक्री सुपरबिल्टअप एरिया पर नहीं बल्कि कारपेट एरिया के आधार पर करनी की बाध्यता।
60 प्रतिशत से ज्यादा रजिस्टर्ड सेल डीड वालों को छूट
इसी वर्ष 1 मई से रियल एस्टेट रेगुलेशन कानून लागू हुआ था। लागू होने के तीन महीने के भीतर निर्माणाधीन प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो गया। इसमें केवल उन प्रोजेक्ट को छूट दी गई, जिनमें 60 प्रतिशत से ज्यादा आवास की रजिस्टर्ड सेल डीड हो गई हो। इसके बाद भी राजधानी जयपुर समेत प्रदेशभर में 600 से ज्यादा प्रोजेक्ट बताए जाते रहे हैं।
इन पर कस चुका शिकंजा
पहली बार चार विकासकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इसके तहत तो दो विकासकर्ताओं पर जुर्माना लगाया है, जबकि 2 विकासकर्ताओं को नोटिस जारी कर लिखित में जवाब मांगा है।जिन विकासकर्ताओं पर जुर्माना लगाया है, उन्होंने प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद निर्धारित दस्तावेजों की पूर्ति नहीं की। इस कारण उन पर रजिस्ट्रेशन फीस का 4 गुना राशि जुर्माना लगाया गया है।
बिल्डर पर शिकंजा, खरीददार पर ज्यादा नहीं
यदि बिल्डर—विकासकर्ता इस कानून की अवेहलना करता है तो उसके खिलाफ 3 साल की जेल या प्रोजेक्ट लागत का पांच प्रतिशत राशि के बराबर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसके अलावा यदि विकासकर्ता किसी कारण से क्रेता को जमा राशि वापस देता है तो उसे एसबीआई बैंक की उस में लागू ब्याज दर से 2 फीसदी ज्यादा ब्याज सहित राशि लौटानी होगी। इसी तरह यदि क्रेता डिफॉल्टर होता है या पैसा समय पर नहीं देता तो उसे भी इसी दर से ब्याज बिल्डर को देना होगा।
फैक्ट फाइल
—1 मई को लागू हुआ रेरा कानून
—3 माह के भीतर करना था रजिस्ट्रेशन
—3 नवम्बर तक की दी गई छूट
—605 प्रोजेक्ट पंजीकृत हुए हैं अभी तक
—20 से 25 फीसदी प्रोजेक्ट अब भी पंजीयन से बाहर
शहरी सीमा के बाहर भी कई आवासीय प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं। ऐसे प्रोजेक्ट को भी रेरा के तहत पंजीयन कराना अनिवार्य कर दिया गया है। पहले ये रेरा से बाहर थे लेकिन लोगों को रेरा का लाभ देने के लिए ऐसा किया है। प्रदीप कपूर, रजिस्ट्रार, राजस्थान रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी
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