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होमबायर्स को मिला फाइनेंशियल क्रेडिटर्स का दर्जा, सुप्रीम कोर्ट ने लिया फैसला

locationनई दिल्लीPublished: Aug 09, 2019 01:50:08 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

घर खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट से एक माह में दूसरी बड़ी राहत।
कोर्ट के फैसले के बाद बरकरार रहेगा आईबीसी संशोधन।
200 रियल एस्टेट कंपनियों ने दी थी चुनौती।

Supreme Court

नई दिल्ली। घर खरीदारों के पक्ष में देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक माह में दूसरी सबसे बड़ी राहत दी है। आज (बुधवार, 09 अगस्त) सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड ( आईबीसी ) के संशोधन को बरकरार रखते हुए कहा है कि इसमें बिल्डर्स के अधिकारों का हनन नहीं होता। घर खरीदारों का फाइनेंशियल क्रेडिटर्स दर्जा बरकरार रखा जायेगा।

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संवैधानिक है आईबीसी संशोधन

इसके पहले आईबीसी में संशोधन को करीब 200 से अधिक रियल एस्टेट कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इन रियल एस्टेट कंपनियों का कहना था कि यह संशोधन असंवैधानिक है। जस्टिस आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस संशोधन से घर खरीदारों को एक प्लेटफॉर्म मिल रहा है, जहां वो रियल एस्टेट डेवलपर्स के खिलाफ अपील कर सकते हैं।

आईबीसी संशोधन ही सर्वमान्य

बेंच ने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर को रेग्युलेट करने के लिए रेरा और आईबीसी संशोधन को एक साथ काम करना होगा। रेरा किसी अधिनियम के अपमान की स्थिति में नहीं। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि यदि रेरा और आईबीसी के बीच में किसी टकराव की बात आती है तो आईबीसी संशोधन ही सर्वमान्य होगा। यह ग्राहकों पर निर्भर करता है कि वे कि अधिनियम के तहत सुनवाई चाहते हैं। इसमें कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, आईबीसी या फिर रेरा भी हो सकता है।

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2018 में आईबीसी कानूनी पारित हुआ था

आईबीसी में हुए बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से होम बायर्स को भी लोन देने वाले बैंकों के साथ फाइनैंशल क्रेडिटर का दर्जा मिल गया है। इससे इन्सॉल्वेंसी से जुड़ी कार्यवाही में होम बायर्स की सहमति की जरूरत होगी। बता दें कि साल 2018 में संसद ने आईबीसी कानून पारित किया था, जिसमें घर खरीदारों और निवेशकों को दिवालिया घोषित कंपनी का कर्जदाता माना गया था।

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