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होटल में ही नजरबंद रहेंगे आम्रपाली के डायरेक्टर्स, अब 10 सालों के बैंक स्टेटमेंट की होगी जांच

Published: Oct 26, 2018 07:31:49 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े आम्रपाली ग्रुप पर कानून का शिकंजा कसता ही जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि आम्रपाली ग्रुप के डायरेक्टर हिरासत में ही रहेंगे।

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होटल में ही नजरबंद रहेंगे आम्रपाली के डायरेक्टर्स, अब 10 सालों के बैंक स्टेटमेंट की होगी जांच

नर्इ दिल्ली। आज सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के डायरेक्टर्स आैर कड़ा शिकंजा कसते हुए ग्रुप के डारेक्टर्स को होटल में पुलिस की निगरानी में नजरबंद को जारी रखा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने एक आैर आदेश जारी करते हुए आॅडिटर्स को ग्रुप के डायकेटर्स के पिछले 10 सालों के बैंक अकाउंट को जांचने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवार्इ 31 अक्टूबर को होगी। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में पिछली तारीख में फाॅरेंसिक आॅडिटर्स को पूरी रिपोर्ट पेश करने को कहा था। आइए आपको भी बताते हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट सुनवार्इ के दौरान क्या-क्या कहा…

होटल में ही रहेंगे नजरबंद
रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े आम्रपाली ग्रुप पर कानून का शिकंजा कसता ही जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि आम्रपाली ग्रुप के डायरेक्टर हिरासत में ही रहेंगे। डायरेक्टर पुलिस की निगरानी में होटल में ही रहेंगे और उन्हें परिजनों से मिलने की इजाजत नहीं होगी। बता दें कि बायर्स से धोखाधड़ी के आरोप में आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा और 2 अन्य डायरेक्टर शिवप्रिया और अजय कुमार नोएडा के होटल में नजरबंद हैं। मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी।

पिछले 10 सालों के बैंक स्टेटमेंट के जांच के आदेश
इसके अलावा कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप की सभी कंपनियों और सभी डायरेक्टरों को अपने सभी खातों के पिछले 10 सालों के बैंक स्टेटमेंट को फरेंसिक ऑडिटरों को देने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप को साथ में यह निर्देश भी दिया कि 2008 से अभी तक जितने भी कंप्यूटरों और लैपटॉपों का इस्तेमाल हुआ है, उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त फरेंसिक ऑडिटरों को सौंपा जाए।

दूसरे उद्देश्यों खर्च हुआ रुपया
इससे पहले फरेंसिक ऑडिटरों ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपनी पहली रिपोर्ट सौंपी, जिसमें इस बारे में विस्तार से बताया गया है कि किस तरह होम बायर्स के पैसों को दूसरे उद्देश्यों के लिए खर्च किया गया। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि होम बायर्स के पैसों का एक बड़ा हिस्सा ग्रुप के डायरेक्टरों को प्राेफेशनल चार्जेज के नाम पर दिया गया।

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