एक खबर चली ‘हैव स्मार्टफोन डिस्ट्रॉयड ए जनरेशन’ (क्या स्मार्टफोन एक पीढ़ी को खत्म कर रहे हैं)। हेडलाइन भयानक थी। लेख में स्मार्टफोन और सोशल मीडिया को भावनात्मक तनाव से जोड़ा गया था। उदाहरण के तौर पर एक ८वीं क्लास का बच्चा हफ्ते में दस घंटे से अधिक सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है तो इसका असर उसकी खुशी पर पड़ेगा ही।
हमारी सलाह है डिवाइस फ्री डिनर प्लान करें यानि रात के खाने के वक्त कोई मोबाइल या दूसरा गैजेट पास न रखें। खाने की टेबल पर जब बैठें तो ऐसा कोई उपकरण न हो जिसमें ऑन और ऑफ का स्विच हो। आप ऐसा करते हैं तो परिवार और बच्चों के बीच जो बातचीत का दौर शुरू होगा वह संतुष्टि और खुशी का भाव देगा।
नेटफ्लिक्स शो देखना अच्छा है लेकिन अभी ये ताजा मसला है। यह तय करना होगा कि क्यों। अगर हां तो किन शर्तों के साथ। निर्णय लेने के लिए खुद को तैयार करें। इससे आप शो के बारे में बच्चों से बात कर सकते हैं और उन्हें उस शो से क्या सीखना है, बता सकते हैं।
हमने सोचना शुरू कर दिया है कि कैसे स्मार्टफोन और सोशल मीडिया ने कॉलेज कैंपस को बदल दिया है। बच्चे की कॉलेज लाइफ के साथ आप भी समय दें ताकि उसे लगे कि आपका सहयोग कर रहे हैं।
आप अमरीकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के फैमिली मीडिया प्लान को पढ़े तथा उसे समझें। इससे आपको पता चलेगा कि कैसे लोग अलग-अलग मीडिया में उलझते जा रहे हैं। बड़ी बात यह है कि एक ही सांचें में सबको नहीं ढाला जा सकता है। ऐसे में उनके बताए प्लान आपके परिवार के लिए विशेष फायदेमंद हो सकते हैं।