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शादी में बड़ी खास होती हैं ये रस्में, इन्हें पूरा करने के बाद ही घर में आती है सुख-समृद्धि

Published: Sep 16, 2018 10:00:39 am

शादी में ढेरों रीति रिवाज देखने को मिल जाते हैं, पौराणिक रूप से देखा जाए तो इन रस्मों के भी कुछ अहम मतलब हैं जिन्हें जानना जरूरी है।

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शादी में ढेरों रीति रिवाज देखने को मिल जाते हैं। इसमें हाथ पैरों पर मेहंदी लगाने से लेकर शरीर पर हल्दी का लेप, अग्नि के चारों ओर फेरे लेना, सगाई की अंगूठी पहनना, हाथों में चूडिय़ां आदि पहनना आदि खास है। पौराणिक रूप से देखा जाए तो इन रस्मों के भी कुछ अहम मतलब हैं जिन्हें जानना जरूरी है।
हाथों में चूडिय़ां पहनना
लाल, हरी, पीली, नीली आदि कई रंगों की चूडिय़ां व चूड़े दुल्हन की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। अलग-अलग समुदाय के अनुसार कांच, लाख और दूसरी तरह की चूडिय़ां खासतौर पर पहनी जाती है। कई जगहों पर सोने व चांदी की चूडिय़ां भी पहनी जाती हैं। पौराणिक दृष्टि से देखा जाए तो हाथों में पति के नाम की चूडिय़ां पहनते हैं। कहते हैं कि चूडिय़ों का चटकना या झडऩा, पति पर किसी विपदा आने का संकेत होता है। इसलिए महिला को ध्यानपूर्वक चूडिय़ां पहनने की सलाह दी जाती है।
सगाई की अंगूठी पहनना
सगाई वाले दिन वर-वधु एक दूसरे को बाएं हाथ की चौथी अंगुली यानी अनामिका अंगुली में अंगूठी पहनाते हैं। इस रस्म से दोनों परिवारों के लिए यह सुनिश्चित हो जाता है कि यह लडक़ा अब हमारी लडक़ी का हुआ और लडक़ी सिर्फ हमारे लडक़े की हुई।
हल्दी रस्म है अहम
पहले की बात करें तो हल्दी रस्म कब पूरी हो गई पता ही नहीं चलता था। लेकिन अब लोग खासतौर से इस दिन को प्लान करते हैं। ज्वैलरी पहनकर दुल्हन तैयार होती है। इस दिन खासतौर पर सभी रिश्तेदार और दोस्त दुल्हन और दूल्हे के शरीर पर हल्दी का लेप लगाते हैं। परम्परा के अनुसार शादी से पहले हल्दी का लेप लगाने से चेहरे की रंगत बढ़ती है व वर-वधु दोनों बुरी नजर से बचे रहते हैं।
हाथ-पैर पर मेहंदी लगाना
दोनों हाथ और पैरों पर भरी-भरी मेहंदी नवविवाहित जोड़े की पहचान मानी जाती है। यह परंपरा भारत के हर कोने में अपनाया जाता है। परम्परा के अनुसार शादी से पहले दूल्हा और दुल्हन दोनों को हाथ-पैरों पर मेहंदी लगाना शुभ होता है। मान्यता के अनुसार हाथों व पैरों में लगी मेहंदी का रंग जितना गहरा चढ़ेगा, वर-वधु के बीच उतना ही गहरा प्यार होता है।
माथे पर बिंदी लगाना
परम्परागत नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से अहम होता है भौहों के बीच बिंदी लगाना। इस स्थान को आज्ञा चक्र माना जाता है और यहां बिंदी लगाने से मन शांत रहता है व तनाव कम होता है। बढ़ती जिम्मेदारियों के चलते मन पर नियंत्रण होना बेहद जरूरी है। शादी में अग्नि के फेरे लेने का भी महत्व है। परम्परा के अनुसार सात फेरे के दौरान लिए गए वचन के लिए अग्नि को साक्षी माना जाता है।
मांग में सिंदूर भरना
सनातन धर्म के अनुसार मांग में सिंदूर भरना शादीशुदा होने का प्रतीक है। शादी के दिन दूल्हा, दुल्हन की मांग में सिंदूर भरकर उसे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करता है। इस दिन के बाद दुल्हन हमेशा मांग में सिंदूर भरती है। पति की लंबी उम्र के लिए मांग में नियमित सिंदूर लगाया जाता है। कई क्षेत्रों में इसका खास महत्व होता है। सिंदूर, सुहाग के लिए किये जाने वाले 16 श्रृंगारो में से एक है।

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