जिस तरह एक बच्चे की मेंटल हैल्थ के लिए उसका खेलना-कूदना जरूरी होता है, उसी तरह प्ले थैरेपी बड़ों के लिए बेनिफिशियल है। खेल खेलने से बच्चों के ब्रेन का डवलमेंट होता है। एेसे में गेम्स सेल्फ हीलिंग का काम करते हैं, जो माइंड के लिए बेस्ट थैरेपी कही जा सकती है। डॉक्टर्स भी स्टेमिना बढ़ाने से लेकर पर्सनैलिटी डवलमेंट के लिए प्ले थैरेपी को प्रमोट कर रहे हैं। यही नहीं, बॉडी को वर्कआउट के लिए प्रेरित करने के लिए भी उसे खेल से रिलेट किया जा रहा है। ताकि वर्कआउट एक्टिविटीज को ज्यादा इंटरेस्टिंग बनाया जा सके।
अमरीकन हॉर्टिकल्चर थैरेपी एसोसिएशन के मुताबिक हॉर्टिकल्चर थैरेपी से किसी व्यक्ति को गार्डनिंग या फिर प्लांट बेस्ड एक्टिविटीज में व्यस्त करके उसका ट्रीटमेंट किया जा सकता है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि प्लांट्स को देखने से पॉजिटिव इमोशंस जनरेट होते हैं, जो लाइफ को देखने का नजरिया बदल देते हैं।
बिबलियो थैरेपी यह एक डिफरेंट हीलिंग प्रक्रिया है। बिबलियो से मतलब स्टोरी टैलिंग से है, जिसमें बुक्स पढऩा, स्टोरीज सुनना और शब्दों को लिखना शामिल है। इसे राइटिंग थैरेपी से जोडक़र भी देखा जा सकता है। एक्सपट्र्स के मुताबिक डिप्रेशन के ट्रीटमेंट में बिबलियो थैरेपी लाभदायक साबित हो रही है।
डॉ. वेदवती शर्मा कहती हैं कि कुछ थैरेपीज ऐसी हैं, जो हमारी लाइफ से तो जुड़ी हैं, लेकिन इसके बावजूद हमें उसकी खूबियों का पता नहीं होता। हॉर्टिकल्चर, प्ले और बिबलियो थैरेपी उनमें से एक है। इन्हें आप घर पर भी आसानी से कर सकते हैं। ये थैरेपीज बदलती लाइफ स्टाइल डिजीज जैसे हारपरटेंशन, डिप्रेशन, स्ट्रैस और निगेटिव थॉट्स को दूर करती है। डॉ. इंद्रा गुप्ता मानती हैं कि खेलना हर उम्र के लिए लाभदायक रहता है, इससे बॉडी में स्फू र्ति बनी रहती है। ऐसे में प्ले थैरेपी लोगों की लाइफ में नई एनर्जी ला रही है।