शोधकर्ताओं ने पाया कि सोशल मीडिया के माध्यम जैसे फेसबुक, वाट्सऐप, ईमेल, ट्विटर, स्काइप आदि के माध्यम से बुजुर्ग अपने निकट संबंधियों से आसानी से जुड़ सकते हैं। मिशिगन विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर विलियम चोपिक का कहना है कि “सोशल तकनीक से हर किसी से जुड़ाव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के जरिए अकेलेपन को घटाता है। अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं वे जीवन से संतुष्ट रहते हैं। उनमें अवसाद व तनाव के लक्षण कम दिखाई देते हैं। शोध में भाग लेने वाले 95 फीसदी बुजुर्गों का कहना था कि यह तकनीक उनके लिए मददगार है। वहीं, 73 फीसदी लोगों का कहना था कि इस उम्र में तकनीकी चीजें सीखना थोड़ा मुश्किल होता है।
सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बुजुर्ग जहां अपने जैसी ही रूचि वाले दूसरे लोगों से जुड़े रहते हैं वहीं वे समाज के युवाओं को भी सही राह दिखाने में मददगार साबित होते हैं। सोशल मीडिया के प्रयोग से बुजुर्ग समाज को अपना अनुभव व ज्ञान बांटते हैं तथा बदले में दूसरों से सम्मान प्राप्त करते हैं जो कि उनके मानसिक स्वास्थ्य को सही रखता है।
मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोध में कहा गया है कि खुश रहने से रोग भी दूर रहते हैं
– 68 वर्ष औसतन उम्र के बुजुर्गों पर हुआ था शोध
– 95 फीसदी शोध में शामिल लोगों ने माना कि सोशल मीडिया उनके लिए सही