मेष: ऊं शांताय नम:
वृष: ऊं वरेण्णाय नम:
मिथुन: ऊं मंदाय नम:
कर्क: ऊं सुंदराय नम:
सिंह: ऊं सूर्यपुत्राय नम:
कन्या: ऊं महनीयगुणात्मने नम:
तुला: ऊं छायापुत्राय नम:
वृश्चिक: ऊं नीलवर्णाय नम:
धनु: ऊं घनसारविलेपाय नम:
मकर: ऊं शर्वाय नम:
कुंभ: ऊं महेशाय नम:
मीन: ऊं सुंदराय नम:
शनि पूजा के दिन क्या करें और क्या न करें
1. प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार मंदिर में शनि देव की पूजा करते समय इनके सामने से दीपक नहीं जलाना चाहिए। इसके बजाय किसी पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना चाहिए। इससे कर्मफलदाता शनि प्रसन्न होते हैं।
2. शनि देव की पूजा में लाल रंग या लाल रंग के फूल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके पीछे की वजह यह है कि लाल रंग मंगल का प्रिय रंग है और मंगल शनि के मित्र ग्रह नहीं हैं। शनिवार के दिन नीले या काले रंग का पूजा में प्रयोग करना चाहिए।
3. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शनि देव की पूजा में तांबे के बर्तनों का इस्तेमान नहीं करना चाहिए। क्योंकि तांबे का संबंध सूर्यदेव से है और सूर्यपुत्र होने के बावजूद शनि देव और सूर्य में करीबी नहीं है। शनि देव की पूजा में लोहे के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।
4. शनिदेव की पूजा मूर्ति के सीधे सामने खड़े होकर करने पर रोक है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से उनकी कुदृष्टि पड़ सकती है, जिससे जीवन में कष्ट होता है। सूर्य पुत्र शनि की पूजा करते समय मूर्ति के दाईं या बाईं ओर खड़े होकर ही करना चाहिए।
5. आचार्य पाण्डेय के अनुसार अगर शनि मंदिर में शनि जयंती की पूजा कर रहे हैं तो इनकी आंखों में आंखें डालकर दर्शन न करें। यह भी मान्यता है कि शनि देव की मूर्ति की बजाय उनके शिलारूप का दर्शन करना चाहिए।
6. शनि जयंती की पूजा घर में कर रहे हैं तो पश्चिम दिशा की तरफ बैठ कर शनि देव का ध्यान करते हुए मंत्रों का जाप करें, साथ ही ध्यान रखें की तेल इधर-उधर न गिरे।